यानी अब विवाह में कोई जातीय बंधन नहीं रहेगा और सतरोल खाप के अंतर्गत आने वाले 42 गांवों में शादी न करने की बाध्यता भी खत्म हो जाएगी। दरअसल, अभी तक इन गांवों में भाईचारा माना जाता था, इसलिए आपस में शादी की इजाजत नहीं थी।तरोल खाप के अंतर्गत आने वाले 42 गांवों में 36 जातियां हैं। इस फैसले का असर यह होगा कि हिसार के 60% जाटों को अपने माता-पिता की इजाजत से अंतरजातीय विवाह करने की छूट मिल जाएगी।
हालांकि कुछ लोगों ने इसका विरोध भी किया और बीच में ही महापंचायत से उठकर चले गए।टवाड़ तपा के लोगों ने कहा कि इस फैसले से सामाजिक ताना-बाना टूटेगा और वे इसका समर्थन नहीं कर सकते हैं। वे लोग बीच में ही महापंचायत से उठकर चले गए। ऋषि राजपुरा ने कहा कि हमारे बुजु़र्ग जैसा भाईचारा हमें देकर गए थे हमें उनकी विरासत को बचाते हुए इस संभालकर रखना चाहिए। सतरोल खाप में आने वाले गांव में आपस में रिश्तेदारी करना ठीक नहीं होगा। इस मामले में पहले भी कई बार महापंचायत हुई थी, लेकिन विरोध के चलते इस पर फैसला नहीं हो पाया था।
हजारों लोगों की मौजूदगी में इस फैसले पर मुहर लगाई गई। महापंचायत में सभी लोगों की रायशुमारी कर 5 लोगों की कमिटी बनाई गई, जिसमें उगालन खाप से जिले सिंह, नारनौंद खाप से होशियार सिंह, बास खाप से हंसराज और कैप्टन महाबीर सिंह और सतरोल खाप के प्रधान सूबेदार इंद्र सिंह को शामिल करने का फैसला किया गया। कमिटी ने फैसला लिया कि सतरोल खाप के लोग आपस में रिश्तेदारी कर सकेगें। खाप में कोई जातीय बंधन भी नहीं रहेगा। फैसले पर अन्य खाप के प्रधानों ने भी सहमति दी।