नई दिल्ली : ऑनर किलिंग और खाप पंचायत मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने अपना पक्ष रखा। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि राज्य सरकारों को उन जोड़ों को पुलिस संरक्षण प्रदान करना चाहिए जिन्हें अपनी जान का खतरा है, क्योंकि उन्होंने अंर्तजातीय या अंतर-गोत्र विवाह किया है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में खाप पंचायतों द्वारा ऑनर किलिंग के नाम पर हत्या के मामले पर केंद्र ने अपना पक्ष रखा है।
गौरतलब है कि 5 फरवरी को इस मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने खाप पंचायत को कड़ी फटकार लगाई थी और उन्हें ऑनर किलिंग के नाम पर कानून को हाथ में न लेने की सलाह दी थी। इससे पहले 16 जनवरी को कोर्ट ने अंर्तजातीय विवाह करने वाले युगल पर हमले को रोकने में असफल रहने पर केंद्र को भी लताड़ा था।
इस पुरे मामले पर मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने प्रेम विवाह करने वाले युवक-युवतियों पर खाप पंचायतों द्वारा किए जाने वाले अत्याचारों पर अंकुश लगा पाने में असफल रहने पर केंद्र सरकार को फटकार भी लगाई थी। पीठ ने कहा था, ‘यदि केंद्र खाप पंचायतों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करती है तो कोर्ट कदम उठाएगा।‘
जानिए क्या है ‘खाप पंचायत’
एक गोत्र या फिर बिरादरी के सभी गोत्र मिलकर खाप पंचायत बनाते हैं। ये पांच या 20-25 गांवों की हो सकती है। मेहम बहुत बड़ी खाप पंचायत और ऐसी और भी पंचायतें हैं। जो गोत्र जिस इलाके में ज्यादा प्रभावशाली होता है, उसी का खाप पंचायत में ज्यादा दबदबा होता है। कम जनसंख्या वाले गोत्र भी पंचायत में शामिल होते हैं लेकिन प्रभावशाली गोत्र की ही खाप पंचायत में चलती है। सभी गांव निवासियों को बैठक में बुलाया जाता है, चाहे वे आएं या न आएं और जो भी फैसला लिया जाता है उसे सर्वसम्मति से लिया गया फैसला बताया जाता है। जिसे सभी को मानने का भी दबाव बनाया जाता है।