मिले आरक्षण और अन्यक सहूलियतें भी
कोर्ट ने कहा कि किन्नयरों को शिक्षण संस्थाजनों में दाखिले के अलावा नौकरी ‘थर्ड जेंडर’ के आधार पर दिए जाएं। वह किन्नसरों को सामाजिक और आर्थिक तौर पर पिछड़ा माने। कोर्ट ने कहा कि किन्न रों को ओबीसी माना जाएगा और उसी आधार पर शिक्षा और नौकरियों के क्षेत्र में आरक्षण दिया जाएगा। यह भी कहा कि किन्नजरों के लिए केंद्र और राज्य सरकारें समाज कल्यााण से जुड़े कार्यक्रम लाएं। इनके बारे में लोगों के बीच सामाजिक चेतना के कार्यक्रम भी चलाए जाएं। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्योंे को किन्नारों की विशेष जरूरतों के मद्देनजर सार्वजनिक शौचालय और मेडिकल सेंटर बनवाने चाहिए।
वोटर के लिहाज से देखा जाए तो किन्नेरों की संख्या काफी कम है इसी साल फरवरी में चुनाव आयोग ने वोटिंग के लिए रजिस्टलर्ड किन्नोरों की संख्याह का खुलासा किया था। आयोग के मुताबिक, कुल 28,241 लोगों ने इस बारे में जानकारी दी। 81 करोड़ वोटरों वाले इस देश में यह संख्याव बेहद कम है।
दुनिया में ट्रांसजेंडर्स की स्थिति
अमेरिका में करीब 7 लाख ट्रांसजेंडर्स हैं। बीते मार्च महीने में ही यहां वाइट हाउस में एक ऑनलाइन याचिका दायर की गई, जिसमें ट्रांसजेंडर्स या किन्नतरों को अलग से नई सामाजिक पहचान देने की वकालत की गई। अमेरिका में इनको लेकर थर्ड जेंडर जैसी कोई व्ययवस्थार नहीं है।
ऑस्ट्रेटलिया में भी हफ्ते भर पहले ही किन्नकरों को बतौर थर्ड जेंडर वरीयता देने का आदेश जारी हुआ है। दिसंबर 2007 में नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि लैंगिक अल्प संख्यकों को आम नागरिकों की तरह ही अधिकार दिए जाएं। 2009 में पाकिस्ताान के सुप्रीम कोर्ट ने किन्नआरों को मतगणना में शामिल करने का आदेश दिया था। बीते साल बांग्लाादेश में भी किन्न रों को थर्ड जेंडर के तौर पर मान्यमता मिली है।
लक्ष्मीा की ट्रांसजेंडर्स की हक की लड़ाई में अहम भूमिका
ट्रांसजेंडर्स को सुप्रीम कोर्ट से मिले इस हक में जिन्हों ने अहम भूमिका निभाई है, उनका नाम है लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी। लंबे समय से ट्रांसजेंडर्स के अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहीं लक्ष्मीि ने ही इस बाबत सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। वह पहली ऐसी ट्रांसजेंडर हैं जो संयुक्ती राष्ट्रह में एशिया प्रशांत का प्रतिनिधत्व कर चुकी हैं। लक्ष्मीज एलजीबीटी वर्ग के लिए काम कर रहे कई एनजीओ के साथ जुड़ी हुई हैं। 2002 में वह दक्षिण एशिया में किन्नरों के लिए काम करने वाले पहले एनजीओ दाई की अध्यक्ष बनीं।