नई दिल्ली : अगले वर्ष के गणतंत्र दिवस परेड व समारोह के लिए 10 आसियान देशों के प्रमुखों को भारत की ओर से आमंत्रित किया जाएगा। दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) के सदस्यों- ब्रूनेई, इंडोनेशिया, कंबोडिया, मलेशिया, लाओ पीडीआर, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाइलैंड और वियतनाम से संपर्क किया जा रहा है।
सूत्रों ने मिली जानकारी के मुताबिक़ 2018 का गणतंत्र दिवस पर पहली बार एक से अधिक देशों के राष्ट्र या शासन प्रमुख को मुख्य अतिथि के तौर पर समारोह में बुलाया जा रहा है। 2014 में सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार ने लुक ईस्ट नीति को एक्ट ईस्ट नीति में बदल दिया। एनडीए सरकार की ओर से भारत की नीति ज्यादा गतिशील करने का दबाव था और न केवल आसियान बल्कि पूरे एशिया-प्रशांत को लेकर होनी चाहिए।
हालाकिं सरकार का कहना था कि जापान पर जोर देते हुए आसियान देशों को एक्ट ईस्ट नीति की रीढ़ बनाया जा सकता है। गणतंत्र दिवस पर आसियान देशों के राष्ट्राध्यक्षों को बुलाना एनडीए सरकार की सोच को और ज्यादा मजबूत करेगा। विदेश मंत्रालय के अनुसार इस साल भारत और आसियान के डायलॉग पार्टनरशिप के 25 वर्ष पूरे हो रहे हैं, 15 साल आसियान देशों के समिट लेवल के, पांच साल स्ट्रेटजिक रिलेशनशिप के पूरे हो रहे हैं। इस मौके पर भारत में और आसियान देशों में स्थित उच्चायोग में कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इन कार्यक्रमों की थीम ‘शेयर्ड वैल्यूज, साझा लक्ष्य (साझा मूल्य, साझा लक्ष्य)’ होगा।
बता दें कि आसियान देशों में- वियतनाम, ब्रूनेई, मलेशिया और फिलीपींस के साथ चीन का सीमा विवाद चलता रहता है। यह विवाद दक्षिण चीन सागर से संबंधित है जहां चीन अपना प्रभाव लगातार बढ़ा रहा है। दूसरी तरफ भारत भी दक्षिण चीन सागर में अपना असर बढ़ाने की कोशिश में है। हालांकि आसियान के कुछ देश ऐसे भी हैं जिनके चीन के साथ अच्छे आर्थिक और कारोबारी संबंध हैं।
हाल में भारत आसियान दिल्ली डॉयलॉग में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा, भारत और आसियान एक भौगोलिक क्षेत्र को शेयर करते हैं जहां उन्हें एक समान चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। विदेश मंत्री ने आसियान देशों को ‘स्वाभाविक साझीदार’ बताते हुए माना है कि भारत उनके साथ ‘भौतिक और डिजिटल संपर्क बढ़ाने के लिए सभी प्रयास कर रहा है।