मणिपुर में महिलाओं को नग्न कर परेड कराए जाने का वीडियो सामने आने के बाद पूरे देश में आक्रोश है. इंसानियत को शर्मसार करने वाली इस घटना का सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (20 जुलाई) को स्वतः संज्ञान लिया है. सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने वीडियो पर संज्ञान लेते हुए केंद्र और मणिपुर सरकार से फौरन कार्रवाई करने को कहा. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने घटना को लेकर सख्त टिप्पणी की. आइए जानते हैं सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान क्या-क्या कहा है.
सरकार करे कार्रवाई नहीं तो हम करेंगे
पीठ ने कहा, ‘‘मणिपुर में दो महिलाओं की जिस तरीके से परेड कराई गई है, उसकी कल आई वीडियो से हम बहुत व्यथित हैं. सीजेआई ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि अब वक्त आ गया है कि सरकार वाकई में आगे आए और कार्रवाई करे क्योंकि यह पूरी तरह अस्वीकार्य है., हम सरकार को कार्रवाई के लिए थोड़ा समय देंगे और अगर जमीनी स्तर पर कुछ नहीं होता है तो फिर हम कार्रवाई करेंगे.’’
महिलाओं का हथियार की तरह इस्तेमाल
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि साम्प्रदायिक रूप से तनावपूर्ण इलाके में हिंसा को अंजाम देने के हथियार के रूप में महिलाओं का इस्तेमाल ‘‘बहुत व्यथित’’ करने वाला है तथा यह ‘‘पूरी तरह अस्वीकार्य’’ है. उन्होंने कहा, ‘‘यह संवैधानिक और मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन है.’’
वीडियो पुराना होने से फर्क नहीं पड़ता- सीजेआई
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि अदालत को इस तथ्य की जानकारी है कि बुधवार को सामने आया यह वीडियो चार मई का है लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. जैसे ही पीठ मामलों पर सुनवाई के लिए बैठी तो सीजेआई ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमानी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से अदालत आने के लिए कहा था.
कार्रवाई पर सवाल
सीजेआई ने दोनों विधि अधिकारियों से कहा, ‘‘दोषियों पर मुकदमा दर्ज करने के लिए मई से लेकर अब तक क्या कार्रवाई की गई और सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए क्या कार्रवाई कर रही है कि यह दोबारा न हो क्योंकि कौन जानता है कि यह अकेली घटना हो, अकेली घटना न हो, यह कोई प्रवृत्ति हो.
उन्होंने कहा कि इतिहास में तथा दुनियाभर में इन हालातों में हिंसा को अंजाम देने के हथियार के रूप में महिलाओं का इस्तेमाल होता रहा है लेकिन ‘‘किसी संवैधानिक लोकतंत्र में यह अस्वीकार्य है.’’ सीजेआई के विचारों से सहमति जताते हुए मेहता ने कहा कि ऐसी घटनाएं पूरी तरह ‘‘अस्वीकार्य’’ है. मेहता ने कहा कि सरकार भी इस घटना को लेकर बहुत चिंतित है और वह अदालत को इस संबंध में उठाए कदमों की जानकारी देंगे.
न्यायालय ने कहा, ‘‘हमारा यह मानना है कि अदालत को उन कदमों के बारे में बताया जाए जो दोषियों को पकड़ने तथा यह सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने उठाए हैं कि मणिपुर के तनावपूर्ण हालात में ऐसी घटनाएं दोबारा न हो.’’ पीठ ने कहा, “हम केंद्र सरकार तथा राज्य सरकार दोनों को फौरन कार्रवाई करने तथा न्यायालय को यह बताने का निर्देश देते हैं कि क्या कार्रवाई की गयी है.”
मामले की 28 जुलाई को अगली सुनवाई
पीठ ने मामले पर अगली सुनवाई के लिए 28 जुलाई की तारीख तय की है. चार मई का यह वीडियो बुधवार को सामने आने के बाद से मणिपुर के पहाड़ी क्षेत्र में तनाव व्याप्त हो गया है. इस वीडियो में दिख रहा है कि विरोधी पक्ष के कुछ व्यक्ति एक समुदाय की दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमा रहे हैं. उच्चतम न्यायालय ने मणिपुर में हिंसा पर कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पहले कहा था कि उसका राज्य में तनाव बढ़ाने के लिए एक मंच के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए और उसने अदालत की कार्यवाही के दौरान दोनों जातीय समूहों से संयम बरतने के लिए कहा था.