नई दिल्ली: कहतें है न कि इंसान अपनी मेहनत और लगन से किसी भी उंचाई को छू सकता है और अपने सपनो को पूरा कर सकता है, जी हाँ ऐसी ही एक कहानी है जोइता मंडल की। शनिवार को जब ”ड्यूटी पर न्यायाधीश” लिखे लाल प्लेट लगी सफेद कार से जोइता इस्लामपुर कोर्ट परिसर में पहुंची तो, ये सिर्फ ट्रांसजेंडर्स के लिए सेलिब्रेशन का मौका नहीं होता था, बल्कि ये पूरे देश के लिए खुशी का अवसर था।
एक ट्रांसजेन्डर के रूप में जोइता मंडल का राष्ट्रीय लोक अदालत तक का सफर इतना आसान नहीं था। जीने के लिए भीख मांगने से लेकर सोशल वर्कर का काम और फिर राष्ट्रीय लोक अदलात के बेंच के लिए चयनित होना ये सब जोइता ने इसी जिंदगी में देखा। ट्रांस वेल्फेयर इक्विटी के संस्थापक अभीना ने कहा, ‘यह पहला मौका है जब किसी इस समुदाय के व्यक्ति को यह अवसर मिला है।
08 जुलाई के लोक अदालत के लिए इस्लामपुर के सब-डिविजनल लीगल सर्विस कमिटी की तरफ से जोइता को बेंच के लिए नियुक्त किया गया था।
जोइता का दफ्तर उस बस स्टैंड से सिर्फ 10 मिनट की दूरी पर था जहां कभी उन्हें सोना पड़ा था, क्योंकि उनके ट्रांसजेंडर होने की वजह से एक होटल ने उन्हें रूम देने से मना कर दिया था। इस घटाना के बाद ही जोइता ने अपने जैसे और भी दूसरे लोगों के लिए लड़ने का इरादा बनाया था।
जोइता के दोस्त जो उन्हें दिजनापुर नोतुन आलो सोसाइटी के फाउंडिंग चेयरमैन के रूप में जानते हैं उन्होंने जोइता के फेसबुक टाइमलाइन को बधाइयों के संदेश भर दिया। नेशनल लोक अदालत बेंच में एक एडिशनल सेशन जज और एक वकील के साथ जोइता का वहां बैठना लोगों में उम्मीद की किरण जगा रहा है।
Times of india (टाइम्स ऑफ इंडिया) से बात करते हुए जोइता ने कहा कि मुझे इस बात का गर्व है और मेरा चयन लिंग भेद के खिलाफ समाज को एक सख्त संदेश देगा।
08 जुलाई के लोक अदालत के लिए इस्लामपुर के सब-डिविजनल लीगल सर्विस कमिटी की तरफ से जोइता के लिए जो नियुक्ति पत्र आया था उसमें उन्हें सोशल वर्कर बताया गया है तथा “लर्न्ड जज” की केटेगरी में रखा गया है। नियमों के मुकताबिक इस फैसले को सबडिविजनल कमिटी के चेयरमैन द्वारा स्टेट लीगल सर्विस अथोरिटी, कोलकाता को भी भैजा गया।
ट्रांसजेंडर समुदाय से संबंधित कई मुद्दों पर जोइता साल 2011 से काम कर रही हैं। जब वो एक आधिकारिक वाहन में सुरक्षा अनुरक्षण के कोर्ट रूम में साथ पहुंची तो सब लोग दंग रह गए।