नई दिल्ली : आखिर क्या है धारा 144 और इसे किन परिस्थितियों में इसे लागू किया जाता है। तो आइए हम आपको बताते हैं। शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए धारा 144 को लागू किया जाता है। धारा 144 सीआरपीसी अंतर्गत आने वाली एक धारा है। इसे निषेधाज्ञा भी कहा जाता है।
सीआरपीसी ‘दंड प्रक्रिया संहिता’ का संक्षिप्त नाम है। दंड प्रक्रिया संहिता कानून सन् 1973 में पारित हुआ और इसे 1 अप्रैल 1974 को लागू किया गया। किसी भी शहर में जब भी किसी घटना के कारण हालात बिगड़ने लगते हैं और माहौल में शांति की जगह तनाव की स्थिति बनने लगती है तो धारा 144 लगा दी जाती है।
धारा 144 शांति व्यवस्था को बनाए रखने के लिए लगाई जाती है। इस धारा को विशेष परिस्थितियों जैसी दंगा, लूटपाट, आगजनी, हिंसा, मारपीट को रोकने, दोबारा शांतिपूर्ण माहौल स्थापित करने के लिए लगाया जाता है।
धारा 144 लागू करने के लिए जिला मजिस्ट्रेट यानी जिलाधिकारी (कलेक्टर) द्वारा एक नोटिफिकेशन जारी किया जाता है। इसके बाद उस तनावपूर्ण इलाके में ये धारा लागू कर दी जाती है।
इस धारा के लागू होने के बाद उस क्षेत्र में 5 या उससे ज्यादा लोग एकत्र नहीं हो सकते और उस क्षेत्र में हथियारों के लाने-ले जाने पर भी पाबंदी लगा दी जाती है।
कर्फ्यू और धारा 144 में अंतर होता है। कर्फ्यू में जहां एक विशेष समयावधि के लिए लोगों को घर के अंदर रहने का आदेश दिया जाता है। कर्फ्यू में केवल जरूरी सेवाएं जारी रहती हैं, वहीं धारा 144 का उद्देश्य लोगों के जमावड़े को रोकना है।
धारा 144 लागू होने के बाद इसका पालन करना हर नागरिक की जिम्मेदारी होती है और इसका उल्लंघन करने पर पुलिस द्वारा गिरफ्तारी भी की जा सकती है जो धारा 107 या धारा 151 के तहत होती है।
धारा 144 का उल्लंघन करने पर अधिकतम 3 साल कैद की सजा भी हो सकती है। इस धारा के अंतर्गत गिरफ्तार किए गए व्यक्ति की जमानत भी हो सकती है, क्योंकि धारा 144 एक जमानती धारा है।