नई दिल्ली : चीन ने दुनियाभर के नेताओं को चेतावनी देते हुए कहा है कि तिब्बत के आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा से की गई मुलाकात को गंभीर अपराध समझा जाएगा। साथ ही यह भी कहा है कि बीजिंग के साथ कूटनीतिक संबंध बनाने के लिए विदेशी सरकारों को अनिवार्य रूप से तिब्बत को चीन का अंग मानना होगा।
चीन हमेशा से दलाई लामा को अलगाववादी कहता रहा है। वह आरोप लगाता रहा है कि दलाई लामा तिब्बत को चीन से अलग करने की कोशिश करते रहे हैं। इन्हीं बातों को लेकर वह विश्व नेताओं के दलाई लामा से मिलने का लगातार विरोध करता रहा है। इस वर्ष, भारत के दलाई लामा को अरुणाचल प्रदेश सहित उत्तर-पूर्व के कई हिस्सों में दौरे की अनुमति देने का भी चीन ने विरोध किया था।
चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चीन (सीपीसी) के संयुक्त मोर्चा कार्य विभाग के कार्यकारी उपाध्यक्ष झांग यीजियोंग ने कहा, किसी भी देश या संगठन का दलाई लामा से मिलने का निमंत्रण स्वीकार करना हमारी नजर में चीनी लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला गंभीर अपराध होगा।
झांग ने कहा, चीन दूसरे देशों और नेताओं के 82 वर्षीय दलाई लामा से धार्मिक नेता के तौर पर मिलने के किसी भी तर्क को स्वीकार नहीं करेगा। मैं यह साफ करना चाहता हूं कि चौदहवें दलाई लामा धर्म की आड़ में एक राजनीतिक हस्ती हैं।
झांग ने भारत का नाम लिए बिना कहा कि दलाई लामा वर्ष 1959 में अपनी मातृभूमि को धोखा देकर दूसरे देश भाग गए। उन्होंने निर्वासन में अपनी तथाकथित सरकार स्थापित की। गौरतलब है कि दलाई लामा चीनी शासन के खिलाफ असफल विद्रोह के बाद वर्ष 1959 में तिब्बत से भाग गए थे। तब से वह भारत में निवार्सन में रह रहे हैं।