पटना: बिहार की सियासत में जबरदस्त उलटफेर होने जा रहा है. एक-दूसरे के कट्टर विरोधी माने जाने वाली जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) अब एक साथ आ रहे हैं।
लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने बिहार में जीतन राम मांझी के नेतृत्व वाली जेडीयू सरकार को बिना शर्त समर्थन देने की घोषणा की है।
बिहार विधानसभा में विश्वास मत पर वोटिंग होनी है और ऐसे में लालू यादव की घोषणा से जेडीयू को बहुत बड़ा सहारा मिला है। उल्लेखनीय है कि नीतीश कुमार ने लोकसभा चुनावों में अपनी पार्टी की करारी हार के बाद पिछले शनिवार को मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया था, जिसके बाद जेडीयू की तरफ से जीतन राम मांझी को बिहार का नया मुख्यमंत्री चुना गया।
वर्तमान में 237-सदस्यीय बिहार विधानसभा में सदन के अध्यक्ष सहित जेडीयू के 117 विधायक, बीजेपी के 88, आरजेडी के 21, कांग्रेस के चार, सीपीआई के एक और छह निर्दलीय विधायक हैं। कांग्रेस के चार, सीपीआई के एक और दो निर्दलीय विधायकों ने जेडीयू सरकार को समर्थन देने का पत्र पूर्व में ही राज्यपाल को सौंप दिया था।
243-सदस्यीय बिहार विधानसभा के छह सदस्यों, जिनमें से आरजेडी के तीन, बीजेपी के दो और जेडीयू के एक (कैमूर जिला के मोहनिया विधानसभा क्षेत्र से जेडीयू विधायक छेदी पासवान के पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार के खिलाफ चुनाव लड़ने के कारण) के इस्तीफा दे देने की वजह से सदन की सदस्यता अब 237 रह गई है।
आरजेडी के जेडीयू को समर्थन देने की घोषणा ने लोकसभा चुनाव में बीजेपी की अप्रत्याशित जीत को देखते हुए प्रदेश में खुद के धर्मनिरपेक्ष होने का दावा करने वाली शक्तियों के एकजुट होने की अटकलें शुरू हो गई हैं। बिहार की 40 लोकसभा सीटों में बीजेपी ने 22 सीटों, उसकी सहयोगी पार्टी एलजेपी ने छह और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ने तीन सीटों पर विजय हासिल की, जबकि आरजेडी को केवल चार सीटें, कांग्रेस और जेडीयू को दो-दो और एनसीपी को एक सीट ही हासिल हो पाई।
आम चुनावों से पहले कोई सोच भी नहीं सकता था कि लालू यादव, नीतीश कुमार की पार्टी को समर्थन दे सकते हैं। नीतीश के इस्तीफे के बाद ऐसी खबरें आई थी कि आरजेडी के समर्थन से जेडीयू सरकार चलती रहेगी। हालांकि लालू ने बाद में इसे सिरे से खारिज कर दिया था। लेकिन अब पार्टी ने नए मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के नेतृत्व वाली जेडीयू सरकार को समर्थन देने का फैसला किया है।