नई दिल्ली : यह मामला एम्स अस्पताल का है। एम्स में डॉक्टरों ने कुछ महीने पहले एक मासूम बच्ची के दिल का ऑपरेशन कर उसे नया जीवनदान दिया था, लेकिन अब उन्हीं डॉक्टरों ने उस मासूम को बेसहारा छोड़ दिया।
ऐसा इसलिए क्योंकि मासूम को संक्रमण हो गया था, इस वजह से उसे दूसरे अस्पताल के भरोसे छोड़ा गया। एम्स के डॉक्टरों का कहना है कि हम सर्दी, जुकाम और निमोनिया का इलाज नहीं करते हैं। एम्स का कहना है कि वह सर्दी, जुकाम और निमोनिया का इलाज नहीं करते हैं तो वहीं केंद्र के ही सफदरजंग और आरएमएल अस्पताल के डॉक्टरों का दावा है कि बच्ची के पास वक्त कम है। एम्स जैसे नामी हॉस्पिटल के इस रवैये से 2 साल की बच्ची की हालत दिनोंदिन खराब होती जा रही है। बच्ची बुराड़ी के संत नगर में रहती है।
बच्ची के पिता कुलदीप कुमार वर्मा का कहना है उनकी बेटी का जन्म दिसंबर 2016 में हुआ, लेकिन बेटी के पैदा होने के बाद ही उनकी बेटी को निमोनिया ने जकड़ लिया। यह खुशी दो महीने से ज्यादा देर तक नहीं रह सकी। जब निमोनिया का इलाज हुआ तो जांच में पता चला कि बच्ची के दिल का आकार सामान्य नहीं है। इसके अलावा उसके दिल के एक हिस्से में ब्लड सर्कुलेशन भी नहीं हो रहा है।
आपको बता दें कि एक बच्ची की नाजुक हालत देख एम्स के डॉक्टरों ने इलाज करने की सलाह दी, लेकिन आप जानकर हैरान हो जाएंगे कि एम्स के डॉक्टरों ने ऑपरेशन की तारीख 5 साल बाद यानि साल 2023 दी है। साल 2023 की तारीख सुनकर मानों पिता को झटका ही लग गया। इसे कम से कम कराने के लिए वह स्वास्थ्य मंत्रालय के चक्कर ही काटते रह गए। हर मुमकिन चौखट पर गुहार लगाई। इसके बाद बीते चार सितंबर को बच्ची का ऑपरेशन हो गया और 7 तारीख को डॉक्टरों ने बच्ची को एम्स से डिस्चार्ज भी कर दिया, लेकिन घर जाते ही बच्ची को तेज बुखार हो गया।
जब बच्ची को दोबारा एम्स ले जाया कि तो डॉक्टरों ने उसे संक्रमण बता दिया और इलाज के लिए दूसरे हॉस्पिटल जाने की सलाह दी। पिता ने बच्ची को आरएमएल अस्पताल में भर्ती कराया। इस हॉस्पिटल में बेड की कमी थी, तो बच्ची को दूसरे मरीज के साथ बेड शेयर करना पड़ा। इस वजह से बच्ची में संक्रमण इस कदर फैल गया कि अब वह कुछ खा भी नहीं सकती है। एम्स के डॉ. वी देवगुरू का कहना है कि ऑपरेशन की तत्काल जरूरत को देखते हुए उन्होंने तारीख से पांच साल पहले उसका ऑपरेशन कर दिया, लेकिन उनके पास केवल दो ही बेड हैं, जो सर्जरी वाले मरीजों के लिए होते हैं। सफदरजंग अस्पताल बहुत अच्छा है। वहां इलाज हो सकता है। इस पर कुलदीप का कहना है कि जब संक्रमण की शुरुआत एम्स से हुई फिर अब दूसरा अस्पताल क्यों? सफदरजंग अस्पताल से भी वे मायूस होकर लौटे हैं।