नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने हिंदुत्व के मुद्दे पर दायर कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा है कि धर्म, जाति और संप्रदाय के नाम पर नेता वोट नहीं मांग सकते। यह गैर-कानूनी है। चुनाव एक सेक्युलर प्रोसेस है और इसका पालन किया जाना चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि इंसान और भगवान के बीच रिश्ता अपनी व्यक्तिगत पसंद का मसला है। सरकार को इससे खुद को अलग रखना चाहिए।
हिंदुत्व के मसले पर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की कांस्टीट्युशनल बेंच सुनवाई कर रही थी।
याचिका में सवाल उठाया गया था कि धर्म और जाति के नाम पर वोट मांगना रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपुल एक्ट के तहत करप्ट प्रैक्टिस है या नहीं।
इस एक्ट के सेक्शन-123 (3) के तहत ‘उसके’ धर्म की बात है और इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को व्याख्या करनी थी कि ‘उसके’ धर्म का दायरा क्या है? कैंडिडेट का या उसके एजेंट का भी।