नई दिल्ली : दिल्ली के सबसे सुक्षित और VVIP माने जाने वाले लुटियन जोन में बंदरों का आंतक इस कदर बढ़ गया है, अब उससे माननीय भी सहमे हुए है। स्थिति यह है कि इस क्षेत्र में सरकारी घर लेने से पहले मंत्री और सांसद इस बात की पड़ताल करना नहीं भूलते है, कि जहां उन्हें घर दिया जा रहा है, उस क्षेत्र में बंदरों की कैसी समस्या है? यानि बंगलों को लेकर उनकी पसंद उन्हीं क्षेत्रों को लेकर रहती है, जहां बंदरों का आंतक कम है।
हाल ही में राज्यसभा में मनोनीत किए गए कई सांसदों ने बंदरों के ऐसे ही आंतक को देख उन क्षेत्रों में बंगला लेने से हाथ खड़े कर दिए, क्योंकि जहां उन्हें घर दिए जा रहे थे, वहां बंदरों का आंतक ज्यादा रहता है। इनमें एक नाम राकेश सिन्हा का भी है। जिन्हें शाहजहां रोड़ पर बंगला दिया जा रहा था, लेकिन बंदरों के आंतक को देखते हुए उन्होंने उसे लेने से इंकार कर दिया। इनसे पहले भी कई मंत्री और सांसद बंदरों के कारणों से घर छोड़ते रहे है। माननीयों की शिकायत रहती है, कि बंदर उनकी खिड़कियां और पेड़-पौधे तोड़ दे रहे है। कपड़े फाड़ देते है। उनके इस आंतक के चलते वह घर से बाहर गार्डन में घूम नहीं पा रहे है। उनके बच्चे सुरक्षित नहीं है।
बंदरों के इस आंतक को लेकर सबसे दिलचस्प मामला इस बार संसद में भी देखने को मिला। राज्यसभा में शून्यकाल में कई सांसदों ने यह मुद्दा उठाया और बंदरों की परशानी से निजात दिलाने की गुहार लगाई। सांसदों की इस शिकायत और डर को देख उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने अपनी पीड़ा व्यक्त की। उन्होंने कहा कि वह खुद भी बंदरों से परेशान है। इसके बाद तो सदन में इसको लेकर जमकर ठहाका लगा। हालाकि उन्होंने सरकार से इस ओर ध्यान देने को कहा। गौरतलब है कि बंदरों के ऐसे ही आंतक को देखते हुए पिछले दिनों संसद भवन में लंगूरों की तैनाती की गई थी।