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इराक में जंग के बीच हजारों साल पुरानी सभ्यताओं की विरासत हो रही नष्ट

iraqqqqqइराक़ में  जंग के बीच पिस रहे हैं ये शहर, यहां के लोग और साथ ही उस विरासत का खजाना जो हजारों साल पुराना है। यही, वह इलाका है, जहां दजला और फरात की घाटी में मैसोपोटामिया की सभ्यता फली फूली। जहां से अरब की हजारों रातों की कहानियां निकलीं। जहां से सिंदबाद सफर पर निकला। असीरियन सभ्यता के मंदिर हैं। इस्लाम पूर्व के दौर के बुत हैं यहां के तमाम मंदिरों में।

ये सब इतिहास की कड़ी मुसलसल जोड़ते रहे हैं। वह कल जहां से हम आज तक पहुंचे हैं। लेकिन, मोसुल के कैलिग्राफर अब्दुल्ला इस्माइल ने सही कहा है कि जंग की सबसे बुरी बात यह है कि वह आज और गुजरे कल में फर्क नहीं कर पाती। वह सब को रौंदती जा रही है। आईएसआईएस और इराकी सेना के बीच चल रही जंग से सब कुछ नष्ट होता जा रहा है। सदियों पुरानी पहचान को यह युद्ध रौंदता जा रहा है। मोसुल, तिकरित और बगदाद आज की तारीख़ में शहरों के नहीं मिटती हुई सभ्यताओं के नाम बन गए हैं।

शिया संत फती अल का एन की मजार इसकी शिकार हुई है। अल शिफा के चर्च में वर्जिन मेरी का बुत तोड़ दिया गया है। इसका किसी ने विरोध नहीं किया। कोई ऐतराज कर भी नहीं सकता था। लोग जिंदा रहने की जद्दोजहद में ऐसे फंसे हैं कि विरासत को कौन पूछे। इराक की विरासत को देखने वाली सरकारी एजेंसी स्टेट बोर्ड ऑफ एंटीक्वीटीज एंड हेरीटेज को डर है कि अगर आईएसआईएस का शहरों पर कब्जा हो गया तो वह संग्रहालयों में रखी चीजों को बरबाद कर देंगे।

हालाँकि, मोसुल के म्यूजियम पर ताला लगा है। अमेरिका के इराक पर हमले के बाद 2003 में इसे लूटा गया था, फिर भी यहां दुनिया की बेशकीमती कलाकृतियों का मजमा है। मोसुल की सेंट्रल लाइब्रेरी में सदियों पुरानी पांडुलीपियां हैं। सोने के हरफों में लिखी इबारतें हैं। मोसुल में 1800 ऐसी जगह हैं जिन्हें सरकार ने ऐतिहासिक बताया है। पड़ोस के निनेवेह में ढाई सौ ऐसी इमारतें हैं। हतरा और अशूर के मंदिर यूनेस्को के वर्ल्ड हेरिटेज साइट हैं जिस पर खास तौर पर खतरा है क्योंकि यहां इस्लाम के आने के कबल (पूर्व) के दौर के बुत रखे हैं।

निमरूद पर भी आईएसआईएस का कब्जा है। यहां के मंदिरों में 3000 साल पुरानी मूर्तियां हैं जो असीरियन सभ्यता की हैं। पहले भी जहां-जहां दहशतगर्दी फैली विरासत खाक में मिलती गईं। अफगानिस्तान में तालिबान ने बामियान में बुद्ध की मूर्ति तोड़ दी। अफ्रीका के माली में अंसार अल दीन ने सूफी संतों के मजारों को बरबाद कर दिया। आज इराक में अमन रेगिस्तान के सराब (मिराज) की तरह है, जो दूर नजर आता है कभी हाथ नहीं आता।