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स्वास्थ विभाग ने नदी में बहा दिए गरीबो की जीवन रक्षक दवा

drugs-in-riverहमीरपुर। एक ओर मरीज सरकारी अस्पतालों में दवाओं के अभाव को झेल रहे हैं। वहीं स्वास्थ्य विभाग द्वारा सरकारी दवाएं मरीजों को देने के बजाये, इन्हें जीवनदायिनी नदियों में फेंककर जल व जलीय जंतुओं को संकट में डाल रहे है। ये नज़ारा हमीरपुर के बिहूनी में विरमा नदी पुल के नीचे गुरुवार को देखने को मिलाए जहां नदी में भारी मात्रा में दवा, फेंक दी गईं। फेंकी गयी दवाओं में कई

एक्सायर्ड थीं, जबकि कई दवाओं की एक्सपायरी डेट अभी नहीं आयी थी। इनकी कीमत करीब चार लाख रुपये से अधिक बतायी जा रही है। फिलहाल दवाएं फेंके जाने का कारण नहीं पता चला है।

हमीरपुर के मुस्करा विकास खंड के ग्राम बिहूनी के पास विरमा नदी पर पुल के नीचे पानी में गुरुवार को काफी मात्रा में डिब्बे पड़े दिखे। नदी में नहाने गए बच्चों ने जब डिब्बों को खोला तो उसमें दवाइयां मिलीए व काफी संख्या में इंजेक्शन मिले। बच्चों ने इसकी जानकारी गाँव के लोगो को दीए जिसके बाद नदी के किनारे लोगो की भीड़ लग गयीए इन दवाइयों को देखने के लिए।

सूचना मिलने पर प्रभारी चिकित्साधिकारी केण्केण् मिश्रा टीम के साथ नदी पर आ गए और सभी दवाइयों को नदी से बाहर निकलवा कर मुस्करा अस्पताल ले गए। सीएमओ को भी इसकी जानकारी दे दी गयी। जिसके बाद हमीरपुर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. राम शरण मिश्रा मुस्करा आए और दवाइयों की जांच की। सीएमओ डॉ. आर.एस. मिश्रा के अनुसार यह दुरूखद घटना है, और जांच में डिब्बे में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र-राठ की मुहर लगी मिलीए जिससे स्पष्ट हुआ कि उक्त दवाइयां सीएचसी मुस्करा की नहीं है। ये दवाएं राठ की हैं। मामले की जांच की जा रही है,  और राठ के अस्पताल में दवाओं का मिलान कराया जायेगा। दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की जायेगी।

एक समाजसेवी अनवर खान के अनुसार उत्तर प्रदेश में बुन्देलखंड इलाके के नागरिक सरकारी अस्पतालों की दवाओ के सहारे जिंदा रहते है, क्योंकि बुंदेलखंड की 80% आबादी आज भी गाँवो में निवास करती है और यहाँ के लोगो का जीवन निम्न स्तर का हैए जो अपनी बीमारियों को दिखने सरकारी अस्पताओ और यहाँ मिलने वाली सरकारी दवाओ पर ही निर्भर रहते है,  अस्पताल की दवा खिड़की में एक एक गोली के लिए मारा मरी मचाते है दवा के आभाव में तमाम मरीजों की मौत भी हो जाती है, एसे में नदी में पड़ी सरकारी दवा स्वास्थ विभाग की पोल खोल रही है, इन दवाइयों को देख लगता है कि सरकारी डॉक्टर मरीजो के लिए मुफ्त में बांटे जाने वाले दवाओं को बेचते है, नहीं बिकने पर उसे नदी नाले में फैंक देते है।

नदी में मिली दवाइयों में 1108 वेंजायल पेंसलीन इजेक्शन, जो चार माह बाद एक्सपायर होने थे। जबकि 408 थायोपेंटीन इंजेक्शन, उल्टी की दवा रीनोर्म 5130 टेबलेट भी मिलीं, जो एक्सपायर थीं। वहीं 1000 ओडोम टेबलेट सहित अन्य फुटकर दवाएं भी मिली। इसके सबसे खास दवा हाईड्रो कार्टीसोन इंजेक्शन 500 की तादात में मिले हैं। इन दवाओं की कीमत लगभग चार लाख रुपये से अधिक बताई जा रही है।