BCCI की अनुशान समिति ने मोदी को अनुशासनहीनता और कदाचार के आठ आरोपों का दोषी करार दिया है। मोदी और बीसीसीबाइ के बीच दिन भर चली कानूनी रस्साकशी के बाद बोर्ड की एसजीएम बमुश्किल आधा घंटा चली, जिसमें विवादों से घिरे 49 वर्षीय ललित मोदी पर आजीवन प्रतिबंध लगाने का फैसला सर्वसम्मति से लिया गया।
मोदी ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से अपने खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए होने वाली इस बैठक पर रोक लगाने की अपील की थी लेकिन न्यायलय ने इसे खारिज कर दिया।
सुत्रों के मुताबिक बोर्ड ने एक बयान में कहा, BCCI ने आमसभा की विशेष बैठक में मोदी को जारी किए गए कारण बताओं नोटिस पर अपनी अनुशासन समिति की रिपोर्ट पर विचार किया। मोदी को गंभीर अनियमितताओं और अनुशासनहीनता का दोषी पाया गया लिहाजा बोर्ड अपने नियम और कानून की धारा 32 के तहत अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए मोदी को BCCI से निष्कासित करता है।
उन्हें प्रशासन के तौर पर अपने सारे अधिकारों और विशेषाअधिकारों से हाथ धोना होगा। वह बोर्ड के किसी सदस्य या सहयोगी सदस्य या किसी समिति में किसी पद पर काबिज नहीं हो सकते।
IPL के जनक मोदी ने अपने बचाव की आखिरी कोशिश में बीसीसीआइ के सदस्यों को पत्र लिखकर मामला न्यायालय के विचाराधीन होने तक कोई फैसला नहीं लेने का अनुरोध किया था। बोर्ड के एक शीर्ष अधिकारी ने कहाए किसी भी सदस्य ने बैठक में मोदी का समर्थन नहीं किया और सदन ने उन पर आजीवन प्रतिबंध लगाने का फैसला सर्वसम्मति से लिया।
गौरतलब है कि बोर्ड की अनुशासन समिति के सदस्यों अरूण जेटली और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जुलाई में 134 पेज की रिपोर्ट जमा की थी जिसमें मोदी को आठ आरोपों का दोषी पाया था जिसमें पैसे की अनियमितताएं, अनुशासनहीनता और बीसीसीआइ के हितो के उलट कार्रवाई शामिल है। बुधवार की बैठक दिल्ली हाई कोर्ट के मंगलवार के फैसले के बाद ही संभव हो सकी, जिसमें अदालत ने बैठक पर रोक लगाने के निचली अदालत को खारिज कर दिया था।