नई दिल्ली : इन दिनों बिहार में बाढ़ का कहर जारी है। सभी टीवी चैनलों पर अभूतपूर्व बाढ़ के कारण बिहार की दयनीय स्थिति दिखाई जा रही है, जिसे देखकर कोई भी व्यक्ति सिहर जाता है। जानकारों का कहना है कि बिहार में ऐसी बाढ़ पिछले पचास वर्षों में नहीं आई थी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार उत्तर और पूर्वी बिहार के एक करोड़ लोग इस विनाशकारी बाढ़ से प्रभावित हैं।
इस आपदा में मरने वालों की संख्या अब 215 पार कर गयी है। बिहार के 18 जिले खासकर, अरहरिया, सुपौल, किशनजंग, कटिहार, पूर्णिया, पूर्वी तथा पश्चिमी चंपारण, दरभंगा और सीतामढ़ी जिले बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हैं। बूढ़ी गंडक ने मुज्ज़फरपुर में तो बागमती ने समस्तीपुर दरभंगा में हालत सबसे ज्यादा खराब हैं। लोग अपनी जान बचाने के लिए सड़क पर अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं। पूर्वी चंपारण मोतिहारी में हालत इतने ज्यादा खराब है कि लोग भूखे-प्यासे सड़क पर बर्तन लिए बैठे भोजन मिल जाने का घंटो इंतजार कर रहे हैं।
आपको बता दें कि बिहार में बाढ़ से 18 जिलों के 1.21 लाख लोग प्रभावित हैं। बाढ़ का पानी अभी भी हर दिन नए क्षेत्रों में घुस रहा है। इससे लोगों की जिंदगी सड़क पर आ गयी है। बाढ़ का पानी मुजफ्फरपुर शहर के कुछ इलाकों में घुस गया है, वहीं शहर की लाइफलाइन अखाड़ाघाट पुल पर बड़े वाहनों का प्रवेश रोक दिया गया है। हायाघाट रेल पुल पर बागमती के पानी के दबाव कारण समस्तीपुर-दरभंगा रेल खंड पर ट्रेनों का परिचालन रोक दिया है। गोपालगंज में सेना कमान संभाल रही है।
वहीं छपरा और सीवान जिले के भी दर्जनों गांव बाढ़ की चपेट में आ गये हैं। पूर्वी चंपारण में शनिवार को मेहसी प्रखंड में पानी घुस गया है। सीतामढ़ी में लखनदेई नदी के ऊफान के कारण तबाही जैसा मंजर है। मधुबनी के बेनीपट्टी की दर्जनभर पंचायतों का संपर्क कट गया है। शनिवार को बाढ़ में डूबकर मरने वालों का आंकड़ा 17 पर पहुंच गया। शनिवार तक जिले के 21 प्रखंडों की 213 पंचायतों की 20 लाख की आबादी प्रभावित हुई।
आधिकारिक अनुमानों के अनुसार एक करोड़ गरीब जनता इस बाढ़ से ग्रसित हो गई है। उन्हें न तो खाने के लिए कोई पैकेट मिल रहे हैं और न पीने के लिए पानी। ट्रेनें बंद हैं। सड़कें कटी हुई हैं। लोग घरों से निकलकर उंची सड़कों पर बस गए हैं और आकाश की ओर देखते हुए हेलीकॉप्टरों का इंतजार करते हैं जो या तो उन्हें बाढ़ ग्रसित क्षेत्र से बाहर निकाले या पर्याप्त भोजन सामग्री व पानी दे। पीने के पानी के अभाव में लोग तरह-तरह की बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। भोजन सामग्री के जो पैकेट हेलीकॉप्टरों से गिराए जा रहे हैं वे बाढ़ ग्रसित लोगों के पास नहीं पहुंचकर पानी में बह जाते हैं।