मध्यप्रदेश, जबलपुर : अमिताभ बच्चन की फिल्म Paa से सुर्खियों में आई लाइलाज बीमारी ‘प्रोजेरिया’ से जबलपुर का श्रेयस बारमाटे भी पीड़ित हैं। इस बिमारी का कोई इलाज नहीं है। आज वह बाल आयोग के अध्यक्ष बनने वाले हैं।
जानकारी के अनुसार 10 साल की उम्र में श्रेयस बहुत बुजुर्ग दिखते हैं। मगर उनकी इस बिमारी का कोई इलाज नहीं है। मध्यप्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने शुक्रवार को उसे एक दिन का अध्यक्ष बनाने का निर्णय लिया है। नाच-गाने का शौकीन श्रेयस, अपनी नई भूमिका को लेकर काफी उत्साहित है। राजधानी में 24 मार्च को होने वाली बाल आयोग की राज्य स्तरीय समीक्षा बैठक एवं कार्यशाला में श्रेयस को एक दिन का अध्यक्ष बनाने का निर्णय लिया गया है।
आयोग के अध्यक्ष डॉ राघवेन्द्र का कहना है उन्होंने श्रेयस को भोपाल बुलाया है। उसे कार्यक्रम के दौरान अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठाया जाएगा। श्रेयस ने आयोग अध्यक्ष से फोन पर यह इच्छा भी जताई कि वह कार्यक्रम में डांस एवं गाना भी पेश करेगा। वह अपने पिता अरविंद बारमाटे एवं एक शासकीय अधिकारी के साथ शुक्रवार को भोपाल आएगा।
सामान्य बच्चों की तरह पढ़ाई में है रूचि :
जबलपुर के ब्राइट कान्वेंट स्कूल में अपने जुड़वा भाई सिद्धांत के साथ पांचवीं कक्षा का छात्र पढ़ रहे श्रेयस का व्यवहार सामान्य रहता है लेकिन कभी-कभार बच्चों द्वारा चिढ़ाने अथवा उसकी टोपी खींचने पर वह गुस्सा भी हो जाता है। प्रिंसपल से शिकायत भी कर देता है। रोज स्कूल जाता है, पढ़ने में काफी रुचि लेता है।
माजुड़वा भाई है सान्य :
लोगों का कहना है कि यह कुदरत का करिश्मा ही है कि श्रेयस के साथ पैदा हुआ उसका जुड़वा भाई ‘सिद्धांत” पूरी तरह सामान्य है। उसमें इस रोग के कोई लक्षण नहीं। अमिताभ बच्चन की फिल्म’पा” में इस बीमारी एवं रोगी की मानसिकता का जीवंत चित्रण देख श्रेयस ‘बिग बी” का फेन हो गया है। यह फिल्म देखने के बाद उसमें अमिताभ से मिलने की व्याकुलता बढ़ गई है। स्कूल और मोहल्ले में उसे देखते ही लोग ‘पा” फिल्म के पात्र ‘आरो” को याद करते हैं।
इसलिए लिया निर्णय :
विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बीमारी ‘प्रोजेरिया” से ग्रसित श्रेयस जिंदगी की जंग लड़ रहा है। रोज स्कूल जाता है, उसने भोपाल घूमने की इच्छा जताई थी। उसे एवं गंभीर बीमारियों से संघर्ष कर रहे अन्य बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए ही हमने यह निर्णय लिया।