नई दिल्ली : देश में PNB घोटाले के बाद बैंको की विश्वसनियता और कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े किये जा रहे हैं। इसी के साथ बैंकों द्वारा लोन देने की प्रक्रिया और मापदंडों पर सवाल उठाते हुए कोर्ट ने कहा कि बैंक अरबपति कारोबारियों और मध्यम वर्ग या गरीबों को लोन देने के लिए अलग-अलग मापदंड अपनाते हैं।
दरअसल, मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु की एक इंजीनियरिंग छात्रा को एजुकेशन लोन देने के आदेश के खिलाफ बैंक की अपील को खारिज करते हुए शुक्रवार को यह टिप्पणी की।
कोर्ट ने कहा कि बैंक पहले तो बिना पर्याप्त सिक्योरिटी के अरबपति कारोबारियों को लोन दे देता है या लेटर्स ऑफ अंडरस्टैंडिंग (LoU) पास कर देता है। इसके बाद जब घोटाला सामने आता है और चीजें हाथ से निकल जाती हैं, तो बैंक लोन की रिकवरी के लिए एक्शन लेता है।” कोर्ट ने साथ ही कहा कि दूसरी तरफ मध्यम वर्ग और गरीब लोगों के मामले में बैंक अलग मापदंड अपनाते हैं। उनसे सारे कागजात लेते हैं और पुख्ता जांच के बाद भी बड़ी मुश्किल से लोन पास करते हैं।
जस्टिस केके शशिधरन और जस्टिस पी. वेलमुरुगन की डिविजन बेंच ने यह टिप्पणी इंडियन ओवरसीज बैंक (आईएबी) द्वारा एक सिंगल जज के आदेश के खिलाफ अपील को खारिज करते हुए की। इस आदेश में बैंक को तमिलनाडु में ओबीसी वर्ग की एक छात्रा को एजुकेशन लोन देने को कहा गया था, आईओबी ने इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी। अपील को खारिज करते हुए कोर्ट ने गरीब छात्रा को एजुकेशन लोन देने से इनकार करने पर बैंक पर 25 हजार का जुर्माना भी लगाया है।
वहीँ जजों का यह कहना है कि बैंक केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए गए निर्देशों को लेकर गंभीर नहीं हैं। आरबीआई और केंद्र सरकार ने बैंकों को गरीब छात्रों को एजुकेशन लोन देकर शिक्षा पाने में उनकी मदद करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा, बैंक ऐसा न करके निर्देशों का उल्लंघन कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि इस मामले से बैंक की कार्यप्रणाली स्पष्ट हो जाती है कि कैसे एक गरीब लड़की को 3.45 लाख रुपये के एजुकेशन लोन के लिए बैंक के कितने चक्कर लगाने पड़े।
आपको बता दें कि 2011-12 के शैक्षणिक सत्र में इंजीनियरिंग कोर्स में दाखिला लेने वाली तमिलनाडु की एक छात्रा ने इंडियन ओवरसीज बैंक में 3.45 लाख रुपये के एजुकेशन लोन के लिए अप्लाई किया था, लेकिन, बैंक ने लोन देने से इनकार कर दिया था। बैंक के लोन देने से इनकार करने पर छात्रा हाईकोर्ट पहुंची थी, जहां सिंगल जज की बेंच ने छात्रा के पक्ष में फैसला सुनाया और बैंक को लोन मंजूर करने का आदेश दिया। बैंक ने इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट की बड़ी बेंच में अपील कर दी. इसी अपील को खारिज करते हुए हाईकोर्ट की दो सदस्यीय बेंच ने यह फैसला दिया।