मुंबई, ANI: महाराष्ट्र सरकार ने कहा है कि कोराना वायरस से मरने वाले व्यक्ति के शव को जलाया जाना चाहिए, चाहे वह किसी भी धर्म का हो। उसे दफनाने की अनुमति नहीं होगी। अंतिम संस्कार में केवल पांच लोग शामिल होंगे। माना जाता है कि शव को दफनाने से दूसरे में संक्रमण की संभावना होती है। यही कारण है कि शव का जलाना ही संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए ज्यादा बेहतर तरीका है। इसको लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने गाइड लाइन जारी की हुई है।
मुंबई में BMC के आयुक्त ने कहा कि कोरोना वायरस के रोगियों के सभी शवों को धर्म की परवाह किए बिना अंतिम संस्कार किया जाना चाहिए। उन्हें दफनाने की अनुमति नहीं होगी, बल्कि उन्हें जलाया जाएगा। अंतिम संस्कार में 5 से अधिक लोग शामिल नहीं होने चाहिए। ज्ञात हो कि नगर निगम ही अंतिम संस्कार जैसे सामाजिक कार्यक्रम को देखती है।
अंतिम संस्कार को लेकर WHO ने दिया सुझाव
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की ‘संक्रमण रोकथाम, महामारी नियंत्रण और स्वास्थ्य देखभाल में महामारी प्रवृत तीव्र श्वसन संक्रमण’ पर गाइडलाइंस में शव को आइसोलेशन रूम या किसी क्षेत्र से इधर-उधर ले जाने के दौरान शव के फ्लूइड्स के सीधे संपर्क में आने से बचने के लिए निजी सुरक्षा उपकरणों का समुचित इस्तेमाल करने का सुझाव दिया गया है।
मुर्दाघर में शव की देखभाल और पोस्टमार्टम जांच के लिए WHO ने तीव्र श्वसन संक्रमण से मरने वाले व्यक्ति के शव को मुर्दाघर, शमशान या कब्रिस्तान ले जाने से पहले अभेद्य बॉडी बैग में पूरी तरह सील करने की सिफारिश की है ताकि शव के फ्लूइड्स की लीकेज से बचा जा सके। WHO शव को संभालने वालों के लिए नष्ट किए जा सकने वाले लंबे आस्तीन के कफ वाले गाउन जैसे निजी सुरक्षा उपकरणों के इस्तेमाल की सलाह देता है। अगर शव के बाहरी हिस्से पर बॉडी फ्लूइड्स, मल या कोई स्त्राव दिखाई दे रहा हो तो ऐसी स्थिति में गाउन वाटरप्रूफ होना चाहिए।
इसी के साथ WHO कहता है कि मुर्दाघर कर्मियों और अंतिम संस्कार करने वालों को हाथों को समुचित रूप से साफ रखने जैसी मानक एहतियात बरतनी चाहिए और उचित निजी सुरक्षा उपकरणों का इस्तेमाल करना चाहिए। अगर शव से फ्लूइड्स या स्त्राव के छीटें आने की संभावना हो तो चेहरे की सुरक्षा करने वाले उपकरणों का इस्तेमाल भी करना चाहिए।