आने वाले समय में एविएशन इंडस्ट्री में रोजगार की व्यापक संभावनाएं हैं। देश में कई ऐसे सेक्टर हैं, जो युवाओं को रोजगार देने के साथ-साथ उन्हें कई तरह की चुनौतियों एवं जिम्मेदारियों से अवगत कराते हैं। इससे वे हर तरह के जोखिम उठाने और अपने कार्यक्षेत्र में आगे जाने में सक्षम हो जाते हैं। एविएशन इंडस्ट्री भी इन्हीं में से एक है। पिछले कुछ उतार-चढ़ाव के बावजूद भारत में एविएशन सेक्टर तेजी से विकास कर रहा है।
यदि इस विकास को आंकड़ों में आंका जाए तो यह सेक्टर 22-28 प्रतिशत सालाना दर से बढ़ रहा है। नई-पुरानी लगभग सभी एयरलाइन्स जहाजों के नए बड़े बनाने में जुटी हैं। इसके अलावा देश के बड़े उद्योगपतियों का निजी विमान रखने की ओर रुझान बढ़ रहा है। इस अनुसार यह कहना गलत न होगा कि भारत के व्यवसाय व अर्थव्यवस्था के विकास में एविएशन इंडस्ट्री महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
इस इंडस्ट्री की रिपोर्ट
फिक्की-के पीएमजी रिपोर्ट के अनुसार एविएशन इंडस्ट्री में वर्ष 2017 तक देश में रोजगार में दोगुना वृद्धि होगी और यह बढ़ कर 1.17 लाख के करीब पहुंच जाएगा, जबकि मौजूदा समय में इसमें कुल 60 हजार के करीब लोगों को रोजगार मिला हुआ है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय की एक घोषणा के अनुसार भारत 2020 तक तीसरा सबसे बड़ा एविएशन मार्केट बन जाएगा। इसी तरह से 2030 तक पहुंचते-पहुंचते इसके पहले स्थान पर काबिज होने का अनुमान है, जबकि इस समय भारतीय एविएशन इंडस्ट्री विश्व की नौंवी सबसे बड़ी एविएशन इंडस्ट्री है।
कब कर सकते हैं कोर्स के लिए आवेदन
इस इंडस्ट्री से संबंधित पाठ्यक्रमों की भरमार है। यह पूरी तरह से छात्र पर निर्भर करता है कि वह अपने लिए किस तरह का कोर्स का चयन करते हैं। इसमें अधिकांश ऐसे कोर्स हैं, जिनमें दाखिला 10़2 (विज्ञान वर्ग) के आधार पर हो सकता है, जैसे कि कमर्शियल पायलट व एयर होस्टेस के लिए 10़2 व एयरफोर्स पायलट के लिए बीटेक अथवा बीई निर्धारित किया गया है। कई संस्थान अंकों के प्रतिशत को वरीयता देते हैं, जबकि कुछ पाठ्यक्रमों में दाखिला स्नातक डिग्री के पश्चात मिल पाता है।
इन पदों पर प्राप्त होंगे अवसर
एविएशन इंडस्ट्री में रोजगार की व्यापक संभावनाएं हैं। ये कई रूपों में छात्रों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं-
कमर्शियल पायलटः
कमर्शियल पायलट का स्थान कॉकपिट में होता है, लेकिन वहां तक पहुंचने के लिए उन्हें पहले स्टूडेंट पायलट लाइसेंस (एसपीएल), फिर प्राइवेट पायलट लाइसेंस (पीपीएल) और इसके बाद कमर्शियल पायलट लाइसेंस (सीपीएल) प्राप्त करना होता है। इसके लिए 10़2 के बाद आवेदन करना होता है। ये कमर्शियल पायलट सभी तरह के एयरक्राफ्ट उड़ाते हैं।
एयरफोर्स पायलटः
भारतीय वायुसेना में पायलट एक उम्दा करियर माना जाता है। वायुसेना पायलट को हमेशा सजग रहना होता है। देश की हवाई सुरक्षा की जिम्मेदारी इन्हीं पायलटों के जिम्मे होती है। एयरफोर्स पायलट बनने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है हिम्मत और जज्बा। इसके लिए शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से स्वस्थ होना आवश्यक है। इसमें फ्लाइंग ऑफिसर, फ्लाइट लेफ्टिनेंट, स्क्वाड्रन लीडर, विंग कमांडर, ग्रुप कमांडर, ग्रुप कैप्टन, एयर कमोडोर, एयर मार्शल, एयर चीफ आदि पद होते हैं।
एयर होस्टेसः
एयर होस्टेस प्रोफेशन आज की तारीख में किसी के परिचय का मोहताज नहीं है। हर साल हजारों की संख्या में युवतियां एयर होस्टेस बनने का सपना लेकर इस क्षेत्र में आती हैं। इन एयर होस्टेस का काम विमान में सफर करने वाले यात्रियों की सेवा और सुविधाओं का ध्यान रखना होता है। इससे जुड़े कोर्स में दाखिला लेने और फिर करियर में जाने का ख्वाब पालने वालों के लिए यह जरूरी है कि वे मानसिक और शारीरिक तौर पर फिट व स्मार्ट हों।
एयर ट्रैफिक कंट्रोलरः
एयर ट्रैफिक कंट्रोलर का काम एयरक्राफ्ट के उड़ने से लेकर उसकी सुरक्षा की देखभाल करना होता है। समय-समय पर एयरपोर्ट व एयर रूट आदि की जानकारी पायलटों को उपलब्ध कराना भी इन्हीं की जिम्मेदारी होती है। इसमें तीन तरह के पद जैसे कंट्रोलर, एप्रोच कंट्रोलर व एयरोड्रोम कंट्रोलर आदि शामिल हैं। मौसम, रेडियोध्रडार की सूचनाएं, आपातकालीन लैंडिंग आदि की जानकारी भी इन्हें रखनी पड़ती है।
एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियरः
इसका सीधा संबंध एविएशन डिवीजन से होता है। एयरक्राफ्ट के सफलतापूर्वक टेक ऑफ की जिम्मेदारी भी इन्हीं के जिम्मे होती है। ये एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर पूरी तरह से सुरक्षा पर फोकस होते हैं, ताकि एयरक्राफ्ट को बिना किसी अवरोध के उड़ाया जा सके। इसके साथ ही इन्हें मशीन, विभिन्न उपकरणों की रिपेयरिंग आदि का काम भी देखना होता है।
फ्लाइट व ग्राउंड इंस्ट्रक्टरः
फ्लाइट इंस्ट्रक्टर का काम पायलट को जमीनी हकीकत के अलावा पुराने तथ्यों की जानकारी देना होता है, ताकि भविष्य में वह किसी हादसे से यात्रियों को बचा सके। सही मायने में देखा जाए तो फ्लाइट व ग्राउंड इंस्ट्रक्टर का काम किसी परिपक्व पायलट की तरह होता है, जो किसी एयरलाइंस की जिम्मेदारी उठाते हैं।
अन्य अवसर
फ्लाइट पर्सर
फ्लाइट डिस्पैचर
फैक्टर फेसिलेटर
एविएशन साइकोलॉजिस्ट
एविएशन डॉक्टर्स
भारी मांग है प्रोफेशनल्स की
देश में इस समय 454 एयरपोर्ट एवं एयरस्ट्रिप मौजूद हैं तथा 16 और अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट स्थापित करने की योजना है। प्राइवेट कंपनियों में सीपीएल होल्डर्स की भारी मांग है। वे प्राइवेट के साथ-साथ सरकारी विमान कंपनियों (इंडियन एयरलाइंस, एयर इंडिया) में भी नौकरी पा सकते हैं, जबकि प्राइवेट कंपनियों में जेट एयरवेज का नाम प्रमुखता से शामिल है। बड़े कॉरपोरेट घराने अपने निजी विमानों के लिए कमर्शियल पायलट की नियुक्ति करते हैं।
बनें परिश्रमी व अनुशासित
यह ऐसी इंडस्ट्री है, जो प्रोफेशनल्स से अनुशासन, धैर्य, जिम्मेदारी, सत्यनिष्ठा, प्रतिबद्घता और आत्मविश्वास का गुण मांगती है। इसमें कई ऐसे पद हैं, जिनमें कठोर, मेहनत, दिमागी सतर्कता, सहनशक्ति, मुश्किल दौर में काम करने की शक्ति और अच्छी टीम भावना की बदौलत आगे की ओर बढ़ा जा सकता है। कई बार इनके काम के
वेतन
सेलरी के हिसाब से भी यह काफी आकर्षक करियर है। इसमें निजी व सरकारी एयरलाइन्स की सेलरी में काफी अंतर देखने को मिलता है। इसके अलावा इसमें विभिन्न प्रकार के पद होते हैं और उनकी सेलरी भी अलग-अलग होती है। यदि इस इंडस्ट्री के वेतनमान पर गौर किया जाए तो शुरुआती दौर में इसमें 40-50 हजार रुपए प्रतिमाह मिलते हैं।
अनुभव बढ़ने के साथ-साथ इसके सेलरी पैकेज में भी काफी अंतर आता जाता है। आज कई ऐसे कमर्शियल व एयर पायलट हैं, जो 2-3 लाख रुपए प्रतिमाह का वेतन उठा रहे हैं। विदेशों में इस इंडस्ट्री के प्रोफेशनल्स को काफी मोटी रकम मिलती है।
निराश नहीं होना पड़ेगा प्रोफेशनल्स को:
आने वाला समय एविएशन इंडस्ट्री के लिए संभावनाओं से भरा है। इसमें कई ऐसे पद हैं, जिनमें भारी संख्या में रोजगार पैदा होगा। यहां पर एविएशन सेक्टर में हर कदम पर अवसर मौजूद हैं। पिछले कुछ सालों में कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट खुले हैं तथा विदेशी समझौते के तहत कई एयरलाइन्स भारत में आने वाली हैं। इसका सीधा असर रोजगार के क्षेत्र पर पड़ेगा और प्रोफेशनल्स की डिमांड काफी अधिक होगी।
फिक्की-केपीएमजी के अलावा इधर कई ऐसी रिपोर्ट प्रकाशित हुई हैं, जिनके आधार पर कहा जा सकता है कि सबसे अधिक डिमांड पायलट, चालक दल के सदस्य, विमान के इंजीनियर, ग्राउंड हैंडलिंग कर्मचारी, प्रशासनिक व बिक्री कर्मचारी व तकनीकीविद् आदि की होगी।
जहां तक इस प्रोफेशन में आने का सवाल है तो यह काफी चैलेंजिंग है। इसमें पैसे के साथ सुख-सुविधाएं भी काफी उच्च स्तर की मिलती हैं। प्रोफेशनल्स को मेट्रोपोलिटन सिटी में रहना होता है और उनकी सेलरी भी आकर्षक होती है, जो कि किसी मायने में अन्य सेक्टर से कम नहीं होती।