नई दिल्ली : 2014 के लिए शांति के नोबेल पुरस्कार की घोषणा कर दी गई है। इस बार संयुक्त रूप से दो लोगों को यह पुरस्कार दिया गया है। भारत के कैलाश सत्यार्थी और पाकिस्तान की मलाला यूसुफजई को शांति का नोबेल पुरस्कार दिया गया है।
यह दोनों ही बच्चों के अधिकारों के लिए काम करते हैं। पुरस्कार मिलने के बाद सत्यार्थी ने सभी भारतीयों को सहयोग के लिए शुक्रिया कहा है। उन्होंने कहा कि नोबेल बाल अधिकार अभियान में लगे कार्यकर्ताओं की जीत है।
11 जनवरी,1954 में जन्में और गांधीवादी परंपरा को मानने वाले कैलाश सत्यार्थी मध्यप्रदेश के विदिशा के रहने वाले हैं। उनके संगठन ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ ने अभी तक करीब 80 हजार बच्चों को बाल मजदूरी से मुक्त करवा चुके हैं। सत्यार्थी लंबे समय से बच्चों को बाल मजदूरी से हटाकर उन्हें शिक्षा अभियान से जोड़ने की मुहिम चलाते रहे हैं।
जबकि सिर्फ 14 साल की मलाला ने 4 साल की उम्र से ही लड़कियों की शिक्षा के पक्ष में आवाज उठाई थी, क्योंकि तब स्वात पर तालिबान के कब्जे के बाद सारे स्कूल बंद कर दिए गए थे। मलाला को आवाज उठाने की कीमत अदा करनी पड़ी और स्कूल से लौटते समय आतंकियों ने उन पर हमला कर दिया। आतंकियों ने मलाला के सिर में गोली मार दी, जिसके बाद उन्हें इलाज के लिए लंदन लाया गया और अब वह लड़कियों की शिक्षा को लेकर पूरे दुनिया का चेहरा बन चुकी हैं।
इस बार के शांति पुरस्कारों को लेकर नोबेल कमेटी ने खासतौर से यह बात कही है कि एक हिंदू और एक मुस्लिम, एक हिंदुस्तानी और एक पाकिस्तानी दोनों ही बच्चों की पढ़ाई और उनके हक के लिए कट्टरपंथ से संघर्ष कर रहे हैं।