इस बात की जानकारी राज्यसभा में ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने सदन को बताया कि सरकार ने मार्च 2011 से मनरेगा मजदूरी को तय करने का आधार खेतीहर मजदूरों के लिए तय की जाने वाली मदूरी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआईएएल) से जोड़ दिया है। इसके तहत हर राज्य में मनरेगा मजदूरी अलग-अलग है। चूंकि यह सूचकांक हर साल एक अप्रैल को संशोधित होता है, इसलिए उससे संबंधित मजदूरी भी हर साल संशोधित होगी।