माइग्रेन से परेशान आज के युवा वर्ग

Migraineआज के इस आधुनिक युग में माइग्रेन जैसे रोग के युवा मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार करीब 10 फीसदी आबादी किसी न किसी रूप में माइग्रेन से पीड़ित है। स्पेशलिस्ट की माने तो इसके बढ़ने का मुख्य कारण यह है कि शुरुआत में ही युवा मरीजों इस पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं। जब तक उनकी समस्या बढ़ नहीं जाती माइग्रेन से पीड़ित युवा मरीज डॉक्टर के पास नहीं जाते हैं और इसे सामान्य सिरदर्द ही समझते रहते हैं। इससे उनकी समस्या और बढ़ती जाती है।

इस भाग दौड भरी जिंदगी में देर रात तक जागना और सुबह देर से उठना, असमय खाना और बढ़ते टेंशन आदि जैसे कई कारणों से माइग्रेन के युवा मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। सावधानी न रखने से यह गंभीर भी हो सकता है। अस्पतालों में प्रति माह 100 से अधिक युवा मरीज माइग्रेन की समस्या को लेकर डॉक्टर के पास जाते हैं।

कुछ एक्सपर्ट के अनुसार अस्पताल में मरीज तभी पहुंचते हैं जब उनकी स्थिति बिगड़ जाती है। माइग्रेन की शुरुआती स्थिति में ही यदि एक्सपर्ट से मिल लिया जाए तो इसे आसानी से कंट्रोल किया जा सकता है। बाद में ठीक होने में इसे थोड़ा वक्त लग जाता है।

यह माइग्रेन का रोग रक्त वाहिकाओं यानी ब्लड नर्व्स के फैलने और उनसे कुछ केमिकल निकलने के कारण होता है। कुछ खास कारण इसे प्रेरित करते हैं। माइग्रेन की 4 स्टेज रहती हैं- प्रोडोम, ऑरा, हैडेक और पोस्टड्रोम। खास बात यह है कि माइग्रेन युवाओं में ज्यादा पाया जाता है। आजकल दवाओं से इसे पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। इसकी अलग-अलग स्टेज के आधार पर ही इसे पूरी तरह ठीक होने में लगने वाला वक्त भी अलग-अलग होता है।

माइग्रेन के लक्ष

  • आधे सिर में दर्द होना और धीरे-धीरे बढ़ते जाना।
  • सिरदर्द के साथ उल्टी की जैसा मन होना या उल्टी होना।
  • सिरदर्द के साथ – साथ डायरिया होना।
  • धीरे-धीरे आंखों के सामने अंधेरा छा जाना। कुछ चीजें धुंधली दिखाई देना।
  • सिरदर्द के पहले भी आलस्य, नींद आना, भूख न लगना, शोर का चुभना जैसे लक्षण इस रोग में देखने को मिलते हैं।

माइग्रेन के उपाये

  • हर दिन सुबह सोने और जागने का समय निश्चित करें। रात में जल्दी से जल्दी सोएं और सुबह जल्दी उठे।

 

  • समय पर भोजन करें। लंबे समय तक उपवास न रखें।
  • केफीन का सेवन कम करने के लिए कॉफी और चाय का सेवन कम करें।
  • तेज रोशनी से बचने की कोशिश करें।
  • माइग्रेन रोग को बढ़ावा देने वाली चीजों को पहचानें और उनसे बचें।