नई दिल्ली : जम्मू और कश्मीर में मंगलवार को उस समय राजनीतिक संकट खड़ा हो गया जब PDP-BJP गठबंधन सरकार से BJP द्वारा समर्थन वापस लेने के बाद महबूबा मुफ्ती सरकार अल्पमत में आ गई और मुख्यमंत्री को अपना इस्तीफा राज्यपाल को भेजना पड़ा।
BJP ने आरोप लगाया है कि महबूबा मुफ्ती सरकार राज्य में आतंकी घटनाओं पर रोक लगाने में नाकाम रही है। BJP के महासचिव राम माधव ने गठबंधन सरकार से अपना समर्थन वापस लेने के ऐलान किया।
वहीं महबूबा का कहना है कि मोदी सरकार हर हाल में कश्मीर से 370 हटाना चाहती है। 2019 चुनावों से पहले वो ये काम करना चाहती है। हम 370 नहीं हटने देंगे इसलिए हमने BJP का साथ छोड़ दिया।
राज्यपाल NN वोहरा के अपना इस्तीफा देने के बाद PDP की मंथन बैठक में महबूबा मुफ्ती ने कहा कि 2014 में हुए चुनावों में किसी दल को सरकार गठन के लिए बहुमत नहीं मिला था। PDP ने कई महीनों के मंथन के बाद BJP के साथ गठबंधन किया था। हमने जनता की मर्जी के बगैर BJP के साथ मिलकर राज्य में सरकार बनाई। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने राज्य में शांति बहाली और युवाओं को नए मौके देने के लिए तमाम योजनाएं चलाईं।
पूरे शासन के दौरान घाटी में 11,000 लोगों के खिलाफ केस वापस लिए। हमने रमजान के दिनों में सीज फायर लागू करवाया। उन्होंने कहा कि हमने राज्य में शांति बहाली के हर संभव कदम उठाए। हमने पाकिस्तान के साथ बातचीत के लिए भी जमीन तैयार की। जबकि BJP की कोशिश थी कि सीज फायर नहीं होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि PDP के लोगों को इस गठबंधन में काफी तकलीफ सहन करनी पड़ीं, लेकिन फिर भी राज्य में शांति के लिए हमने इस गठबंधन को जारी रखा। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर को सख्ती की पॉलिसी नहीं चल सकती, जबकि BJP यहां सख्ती अपनाना चहाती थी। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने आर्टिकल 35-A को लेकर अपना रुख शुरू से ही स्पष्ट रखा, जबकि BJP इस धारा को खत्म करना चाहती थी।
वहीँ BJP द्वारा समर्थन वापस लेने के सवाल पर महबूबा मुफ्ती ने कहा, ‘ BJP के इस फैसले से मुझे कोई अचंभा नहीं है, हमने सत्ता के लिए यह गठबंधन नहीं किया। इस गठबंधन का एक बड़ा मकसद था- एकतरफा युद्धविराम, पीएम की पाकिस्तान यात्रा और 11,000 युवाओं के खिलाफ मामलों को वापस लेना।’ उन्होंने यह भी कहा कि राज्यपाल को इस्तीफा देने बाद उन्होंने यह साफ कर दिया है कि वह अब नए गठबंधन पर विचार नहीं करेंगी।