मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने जम्मू कश्मीर विधानसभा में यह बयान दिया है कि कश्मीरी पंडितों के घाटी में पुनर्वास के लिए अलग से कॉलोनियां नहीं बनाई जाएंगी। उन्होंने कहा कि मैंने केंद्रीय गृहमंत्री को बता दिया है कि कश्मीरी पंडित घाटी में अलग से नहीं रह सकते और उन्हें समाज में साथ रहना होगा।
इस बात को लेकर कश्मीरी पंडितों की राज्य में वापसी के सवाल पर केंद्र और सत्तारूढ़ पीडीपी में तनातनी फिर शुरू हो गई है। गौरतलब है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय कश्मीरियों को घाटी में जल्द से जल्द बसाने के पक्ष में है, जबकि पीडीपी का कहना है, उन्हें अलग से बसाना उचित नहीं होगा, वे मिली-जुली आबादी का हिस्सा हों।
उधर, राजनाथ सिंह ने कहा है कि केंद्र सरकार घाटी में कश्मीरी पंडितों की सुरक्षा को लेकर चिंतित है। उन्होंने कहा कि इन बातों को ध्यान रखते हुए केंद्र सरकार कार्ययोजना तैयार कर रही है।
राज्य सरकार में शामिल भाजपा इसे कश्मीरी पंडितों को बसाने की राह में अड़ंगा डालने की कोशिश बता रही है। मंगलवार को मुख्यमंत्री मुफ़्ती मोहम्मद सईद और गृह राजनाथ सिंह की मुलाकात में भी ये मुद्दा उठा था। इस मुद्दे पर हुर्रियत नेता भी पीडीपी के साथ हैं।
गौरतलब है कि मंगलवार को मुख्यमंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद ने नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की थी। इस दौरान राजनाथ सिंह ने मुफ्ती से कश्मीरी पंडितों की घर वापसी के लिए टाउनशिप बनाने के लिए घाटी में जमीन उपलब्ध करवाने को कहा था।
सूत्रों के अनुसार, एनबीसीसी एक हजार अपार्टमेंट वाले टाउनशिप का आर्किटेक्चर और डिजाइन भी तैयार कर चुका है। योजना के अनुसार कश्मीरी पंडित यहां अलग-थलग न पड़ जाएं, इससे बचने के लिए स्थानीय मुसलमानों को भी यहां फ्लैट खरीदने की छूट देने की योजना है। सूत्रों की मानें तो मुफ्ती ने राजनाथ सिंह को अतिशीघ्र जमीन का अधिग्रहण कर उपलब्ध करवाने भरोसा दिलाया था।