नई दिल्ली : तीन तलाक मुद्दे पर कट्टर मुस्लिम संगठनों के अड़ियल बर्ताव के विरोध में मुस्लिम महिलाओं ने अपनी आवाज तेज कर दी है। उन्होंने मौलवियों को धर्मांतरण की चेतावनी दी है।
मुस्लिम महिलाओं के एक संगठन ने कहा है कि यदि तीन तलाक के जरिए उनकी जिंदगी इसी तरह बर्बाद होती रही तो वे हिंदू धर्म अपना लेंगी। इस महिला शाखा ने 15 दिन तक तीन तलाक, हलाला और बहुपत्नी प्रथा पर महिलाओं के बीच जागरुकता अभियान चलाया। इस दौरान जमात के एक प्रतिनिधि मंडल ने उत्तर प्रदेश के कई गांव और कस्बों का दौरा कर महिलाओं से मुलाकातें की और तीन तलाक समेत कई मसलों पर उन्हें जागरुक किया।
जमात की महिला विंग की सचिव अतीका सिद्दीकी ने कहा कि हम बरेली में कई जगह महिलाओं से मिले थे। एक महिला ऐसी भी मिली कि जिसके पति ने उसे बिना तलाक दिए ही छोड़ दिया था।
हम अपने उलेमाओं से अपील करते हैं कि वह इस तरह की महिलाओं के लिए कोई रास्ता निकालें। वरना पति अगर तलाक तलाक तलाक कहेगा तो हम हर हर महादेव नारे लगाने से पीछे नहीं हटेंगे।
वहीं, महिला संघ ने तीन तलाक , हलाला, बहु विवाह और मुस्लिम महिलाओं के पुनर्वास के लिए 4 मई को देवबंद में एक सम्मेलन आयोजित करने का निर्णय लिया। देवबंद से उक्त सम्मेलन की शुरूआत करने के बाद इस तरह के सम्मेलन प्रदेश के अन्य जिलों में भी आयोजित किए जाएगे। इस सम्मेलन के माध्यम से पीडित मुस्लिम महिलाओं को उनका हक दिलाने के लिए आवाज बुलंद की जाएगी।
सहारनपुर में पत्रकारों से बात करते हुए राष्टंवादी मुस्लिम महिला संघ की राष्ट्रीय अध्यक्ष और सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता फरहा फैज ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड एवं जमीयत-उलेमा-ए हिंद के खिलाफ तीन तलाक के मामले में पैरवी कर रही है। फरहा फैज ने कहा कि तीन तलाक से पीडित मुस्लिम महिलाओं के पुनर्वास को लेकर वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी मिली थी। इसके बाद ही पीडित महिलाओं को रानी लक्ष्मीबाई आर्थिक कोष से सहायता प्रदान किए जाने पर सहमति बनी है। फरहा फैज ने कहा कि मुस्लिम समाज पर अभी तक सिर्फ कुछ विशेष लोगों का ही राज था। ऐसे लोग महिलाओं को पर्दें में ही रखना चाहते थे, उन्हें बाहर नहीं आने देते थे और उनका शोषण करते थे।