नई दिल्ली : लंबे समय से अटलांटिक महासागर में रहस्य बने बरमूडा ट्राइएंगल से वैज्ञानिकों ने पर्दा हटा दिया है।वैज्ञानिकों का दावा है कि इस क्षेत्र में जहाजों और विमानों के लापता होने के पीछे दरअसल हेक्सागोनल बादल जिम्मेदार हैं।
हेक्सागोनल बादलों की शक्ति का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि इनमें एक बड़े बम के बराबर के ताकत होती है। इन बादलों के साथ 170 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलती है। इतनी तेज रफ्तार के बीच जब कोई जहाज और विमान गुजरता है तो बचने के गुजाइश नहीं बचती है।
गौरतलब है कि बरमूडा ट्राइएंगल क्षेत्र से गुजरने के दौरान जहाज और विमान लापता हो जाते थे। एक अनुमान के मुताबिक बरमूडा ट्राइएंगल क्षेत्र में अभी तक 200 से ज्यादा विमान व जहाज गायब हो चुके हैं और 1000 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है।
मौसम वैज्ञानिक रैंडी किवेनी का कहना है कि हेक्सागोनल बादलों में इतनी ताकत होती है कि इनके आसपास की सभी चीजें बरबाद हो जाती है। इन इलाके में चलने वाले तेज रफ्तार हवाएं इन बादलों का निर्माण करती है। इस दौरान सुनामी से भी ऊंची लहरें पैदा होती है, ऐसे में किसी जहाज का बच पाना मुश्किल हो जाता है।
किवेनी के मुताबिक हेक्सागोनल बादल बरमूडा आइलैंड के दक्षिणी छोर पर पैदा होते हैं और फिर करीब 55 मील की दूरी तय करते हैं। इस दौरान उनके रास्ते में जो भी आता है, उसे वे नष्ट कर देते हैं। करीब पांच लाख वर्ग किलोमीटर में फैले बरमूडा ट्राइएंगल क्षेत्र में पिछले कई दशकों से कई विमान और जहाज लापता हुए हैं। कई लोगों ने इसके पीछे एलियन को भी जिम्मेदार बताया।