नई दिल्ली : स्विटजरलैंड के शहर दावोस में दुनिया भर से आए दिग्गज कंपनियों के प्रमुखों और विदेशी नेताओं के जमावड़े के बीच विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) में उद्घाटन भाषण देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह साबित कर दिया कि क्यों उन्हें दुनिया के तीन सबसे लोकप्रिय नेताओं में शुमार किया जाता है।
तकरीबन 20 वर्षो बाद इस मंच से भारत का कोई प्रधानमंत्री वैश्विक समुदाय को संबोधित कर रहा था और मोदी ने इसका फायदा उठाते हुए भारत को एक बेहतरीन निवेश स्थल के तौर पर मार्केटिंग करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। आपको बता दें पीएम मोदी ने 1997 को याद करते हुए कहा कि दावोस में आखिरी बार भारत के प्रधानमंत्री की यात्रा साल 1997 में हुई थी। 1997 में भारत की जीडीपी सिर्फ 400 बिलियन डॉलर से कुछ अधिक थी। अब दो दशकों के बाद यह लगभग छह गुना हो गया है।
उस साल इस फोरम का विषय था ‘Building the netwotk Society’आज 21 साल बाद टेक्नोलॉजी और डिजिटल एज की उपलब्धियों को देखें तो 1997 वाला वो विषय ऐसा लगता है जैसे सदियों पुराने किसी युग की चर्चा थी।
PM मोदी ने संरक्षणवाद को आतंकवाद की तरह खतरनाक बताया तो पड़ोसी देश पाकिस्तान पर भी निशाना साधा। साथ ही दुनिया को यह भी संकेत दिया कि अगर भारत को नया वैश्विक लीडर माना जा रहा है तो उसकी ठोस वजहें हैं और भारत यह भूमिका निभाने के लिए तैयार है। हिंदी में मोदी का बेहद ओजपूर्ण भाषण भारतीय दर्शन के साथ ही बुद्ध, गांधी व टैगोर के विचारों व उपनिषदों की उक्तियों से भरा हुआ था। दुनियाभर के दिग्गज वैश्वीकरण पर भारत का नजरिया जानने को इच्छुक थे, ऐसे में मोदी ने संरक्षणवाद को बढ़ावा देने वाली ताकतों को चेतावनी दे डाली। वैश्वीकरण की रंगत खोने की बात करते हुए मोदी ने यह भी स्पष्ट किया कि हाल के दिनों में संरक्षणवाद की राह पर चल रहे देशों की नीतियों का भारत समर्थन नहीं करता।
उन्होंने संरक्षणवाद को दुनिया के समक्ष तीन सबसे बड़ी चुनौतियों में शामिल करते हुए कहा कि ‘संरक्षणवाद आतंकवाद की तरह ही घातक साबित हो सकता है।’ इसी मंच से चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने पिछले वर्ष संरक्षणवाद पर करारा प्रहार किया था। मोदी के इस बयान का निहितार्थ सीधे तौर पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आर्थिक नीतियों के विरोध के तौर पर देखा जा रहा है जिसमें अमेरिकी उत्पाद, अमेरिकी कारोबार व अमेरिकी मूल के व्यक्तियों को पहले वरीयता देने की बात की जा रही है। साफ है कि वैश्विक लीडर के तौर पर चीन और भारत के उभरने की बात यूं ही नहीं हो रही।
मोदी ने पर्यावरण बदलाव और आतंकवाद को दुनिया के समक्ष सबसे बड़ी चुनौतियों में गिनाते हुए पड़ोसी देश पाकिस्तान पर निशाना भी साधा। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के नुकसान और इसके खतरनाक परिणामों को सभी देश समझ रहे हैं और वह उसे दोहराना नहीं चाहते। लेकिन आतंकवाद जितना खतरनाक है उतना ही खतरनाक है अच्छे और बुरे आतंकवाद (गुड टेररिस्ट और बैड टेररिस्ट) में अंतर करना। सनद रहे कि पड़ोसी देश पाकिस्तान हमेशा से आतंकवाद पर गुड टेररिस्ट और बैड टेररिस्ट की बात करता है। उसके लिए कश्मीर के आतंकी गुड टेररिस्ट हैं जबकि पाकिस्तान में पनाह लिए अफगान आतंकी बैड टेररिस्ट हैं।
भारत को वैश्विक लीडर के तौर पर किया पेश
मोदी के भाषण की एक अन्य खास बात यह रही कि इसमें भारत को हर लिहाज से एक वैश्विक लीडर के तौर पर पेश किया। चाहे मुसीबत में फंसे देशों को राहत देने की बात हो या युद्ध ग्रस्त इलाकों में शांति स्थापित करने में भारतीय सेना की भूमिका हो या वैश्वीकरण के मोर्चे पर भारत का रिकॉर्ड हो। भारत सरकार की तरफ से हाल के दिनों में एक स्वच्छ अर्थव्यवस्था बनाने के लिए उठाए गए कदमों का उल्लेख करते हुए उन्होंने वैश्विक निवेशकों का आह्वान किया कि वर्ष 2025 तक भारत पांच लाख करोड़ डॉलर की एक विशाल अर्थव्यवस्था बन जाएगी।
उपनिषदों की उक्तियों के जरिये वैश्विक निवेशकों को भारत आने का न्यौता भी मोदी ने अपने अंदाज में दिया। मोदी ने कहा कि अगर वे वेल्थ (संपदा) के साथ वेलनेस (सुख-शांति) चाहते हैं तो भारत आएं। अगर स्वास्थ्य के साथ समग्रता चाहते हैं तो भारत आएं। अगर संपन्नता के साथ शांति चाहते हैं तो भारत आएं।
वहीँ विश्व आर्थिक मंच के सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संबोधन की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने प्रशंसा की है। सुषमा स्वराज ने कहा कि दावोस में भारतीय संस्कृति और मूल्यों की प्रासंगिकता समझाकर प्रधानमंत्री ने भारत का मस्तक ऊंचा किया है। सुषमा स्वराज ने अपने ट्वीट में कहा कि दावोस में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी का भाषण अनूठा और अद्वितीय रहा।