भटकल कि गिरफतारी ने यह साबित कर दिया कि पाकिस्तानी आतंकवादियो और ISI के लिए सेफ जोन है नेपाल। सालो से पाकिस्तानी आतंकवादी व ISI नेपाल के बड़े नेताओ को विश्वास में लेकर भारत विरोधी गतिविधियों का संचालन नेपाल में रह कर कर रहा था। इसका खुलासा कई साल पूर्व 1998 में ही हुआ था।
जब नेपाली सांसद मिर्जा दिलसाद बेग की हत्या के बाद छोटा राजन ग्रुप ने खुलासा किया कि सांसद मिर्जा दाउद का सबसे करीबी आदमी था तथा नेपाल मे ISI के एजेन्टो को पनाह देता था। उसकी हत्या के बाद नेपाल के पूर्व मंत्री यूनूस अंसारी ने ISI की कमान सम्भाली और ISI और दाउद के इशारे पर जाली नोट और युवाओं को गुमराह कर भारत विरोधी कार्य कराता था।
साल 2010 मे सलीम अंसारी के पुत्र यूनूस अंसारी दो पाकिस्तानी नागरीको के साथ गिरफतार हुआ था यूनूस के पास से भारी मात्रा में ड्रग्स भी मिला था फिलहाल यूनूस नेपात जेल में बन्द है फिर अब्दुल मजीद मनियार कि हत्या काठमाण्डू में कर दी गई। ऐसा कहा जाता है कि मनियार कि हत्या पाकिस्तान के लिए काम करने के कारण हुई।
मनियार के बाद महमद फैजान कि हत्या भी ISI व जाली नोट के लेन-देन में हुई 2010 के अन्त में प्रवीण सांडा की भी हत्या हो गई जो भारत विरोधी कार्यो में लिप्त था। यह सभी हत्याएं माधो कुमार नेपाल के प्रधानमंत्री कार्यकाल में हुई।
लश्कर तैयबा, अलकायदा व दाउद से तालुक रखने वाले सैकड़ो लोग अभी भी नेपाल व नेपाल से सटे भारतीय सीमा क्षेत्रों में भारत विरोधि कार्य कर रहे हैं हाल के दिनों में बिहार के पूर्वीचम्पारण के भारत नेपाल सीमा के रक्सौल से गिरफतार अब्दुल करीम टुण्डा ने भी दिल्ली पुलिस के समक्ष महमुद मिया नामक एक राजनितिक व्यक्ति को अपना संरक्षक बताया है अगर गहनता से सीमाई क्षेत्र को खंगाला जाय तो चैकाने वाले नतिजे सरकार को मिलेगे।