नई दिल्ली : तेज बुखार, सिर में भयानक दर्द, सांस लेने में तकलीफ, कोमा में जाना जैसे लक्षण इसके कारण होते हैं। केरल में एक दुर्लभ दिमागी बुखार (Brain Fever) की चपेट में आने से कई लोगों की मौत हो गई है। डॉक्टरों के मुताबिक निपाह वायरस (NiV) के कारण ये मौतें हुई हैं। यह वायरस इसलिए बेहद खतरनाक माना जाता है क्योंकि अभी तक इसका कोई इलाज नहीं है और न ही इसका कोई वैक्सीनेशन अभी उपलब्ध है।
साल 1998 में मलेशिया के कामपुंग सुंगाई निपाह गांव के सुअरों में इस वायरस की पहली बार पहचान की गई। एक व्यक्ति की इस वायरस की चपेट में आने से मौत हो गई। इस कारण इसका नाम निपाह वायरस (Nipah Virus) पड़ गया। उसी दौरान यह संक्रामक बीमारी सिंगापुर में भी फैली। उसके बाद 2004 में बांग्लादेश में यह फैली।
विशेषज्ञों के मुताबिक चमगादड़ों से यह वायरस मनुष्य में फैला। यह RNA(रिबोन्यूक्लिक एसिड) वायरस के कारण उत्पन्न होता है। आरएनए वायरस पैरामाईक्सोविरिडी फैमिली और हेनीपावायरस वंश से संबंधित होता है और हेंड्रा वायरस से नजदीकी रूप से संबद्ध होता है।
डॉक्टरों ने बताया कि ये वायरस सुअरों से चमगादड़ के संपर्क में आया। इसके द्वारा पशुओं और उनसे इंसानों में फैला। यह एक जूनोटिक बीमारी है। मलेशिया में जब यह पहली बार पहचान में आया तो इससे संक्रमित करीब 50 प्रतिशत मरीजों की मौत हो गई।