नई दिल्ली : बड़े शहरों में तो आये दिन पानी की किल्लत से लोगो को जूझना ही पड़ता है लेकिन अब देशभर में आने वाले दिनों के अंदर पानी की समस्या और बढ़ने वाली है। इस साल मौसम विभाग ने पहले ही देशभर में भयंकर सूखे और पानी की किल्लत को लेकर चेतावनी दी थी।
अब नीति आयोग ने अलर्ट जारी किया है कि भारत इतिहास के अब तक के सबसे बड़े जलसंकट से जूझ रहा है। पानी की कमी के कारण लाखों लोग परेशान हैं। इस वक्त देश में 60 करोड़ लोग पानी की किल्लत झेल रहे हैं। साफ पानी न मिल पाने से दो लाख लोग हर साल मर जाते हैं। ये आंकड़े सुनने में बेहद भयावह, लेकिन सच हैं।
जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी और नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने गुरुवार को जल प्रबंधन इंडेक्स रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट में देश के सामने आने वाले खतरों के बारे में बताया गया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि पानी की समस्या आने वाले में दिनों में और ज्यादा खराब होने वाली है। 2030 तक आबादी को दोगुना पानी की आपूर्ति की जरूरत होगी। इसके चलते करोड़ों लोग पानी की कमी से जूझेंगे। पानी की वजह से देश की जीडीपी में 6% गिरावट आ सकती है।
रिपोर्ट के मुताबिक, तकरीबन 75% घरों में पीने का पानी मुहैया नहीं है। 84% ग्रामीण घरों में पाइप से पानी नहीं जाता और देश में 70% पानी पीने लायक नहीं है। इंडिपेंडेंट एजेंसी की रिपोर्ट में बताया है कि देश का 70% पानी दूषित है। वाटर क्वालिटी इंडेक्स में 122 देशों की लिस्ट में भारत का नंबर 120 है। नीति आयोग ने जल प्रबंधन रिपोर्ट में गुजरात को पहला स्थान दिया है। इसके बाद मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र का नंबर आता है। वहीं, झारखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और बिहार इस रिपोर्ट में सबसे खराब पोजिशन में है।
सरकार का दावा है कि इस रिपोर्ट के जारी होने से राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को जल प्रबंधन करने का दबाव बनेगा और जल संकट से निपटने के लिए ये अच्छा टूल साबित हो सकता है। नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि देश में पानी की स्थिति अच्छी नहीं है। पिछले 70 साल में इस पर ध्यान नहीं दिया गया। हर साल इतनी बारिश होती है, बाढ़ आती है लेकिन हमने कभी सोचा ही नहीं कि कभी पानी की समस्या भी हो सकती है। अब स्थिति ऐसी हो गई है कि इस विषय को गंभीरता से लेना होगा। यदि हम अपने शहरों को केपटाउन नहीं बनाना चाहते तो अभी से जल प्रबंधन शुरू करना होगा।