बाढ़ से बेहाल बिहार, पीएम मोदी से मिलकर नीतीश ने मांगी मदद

पटना: बिहार में गंगा नदी अभी भी अधिकांश स्थानों पर खतरे के निशान से ऊपर बह रही है जिससे राज्य में बाढ़ की स्थिति विकट बनी हुई है। हालांकि, सोमवार की तुलना में गंगा के जलस्तर में मामूली कमी दर्ज की गई है परंतु सोन नदी के जलस्तर में वृद्धि के कारण लोगों में बेचैनी है। इस बीच राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने के लिए 7 आरसीआर पहुंचे। नीतीश कुमार और नरेन्द्र मोदी के बीच करीब आधा घंटे तक बाढ़ को लेकर बातचीत हुई. बातचीत के अलावे नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री को पत्र भी दिया, जिसमें बिहार को बाढ़ और सुखाड़ से निपटने के लिए समुचित केन्द्रीय सहायता के साथ-साथ गंगा की अविरलता के लिए राष्ट्रीय गाद प्रबंधन नीति बनाने का फिर अनुरोध किया। पत्र में लिखा गया है कि एक तरफ बिहार के 28 जिले बाढ़ से प्रभावित हैं तो दूसरी तरफ औसत से 14 प्रतिशत कम वर्षा के कारण सुखाड़ के हालात भी है।

नीतीश कुमार ने बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा कि केंद्र के सामने हमने अपनी बात रखी है। पहले भी हम अपनी बात रखते रहे हैं। गंगा बेसिन पर अपनी चिंताओं से केंद्र को अवगत कराया है। बिहार में बारिश 14 फीसदी कम हुई है। उन्होंने कहा कि बिना ज्यादा बारिश के हालात खराब हैं। गंगा के सिल्ट मैनेजमेंट को लेकर भी हमने केंद्र से बात की है।

बता दें कि बिहार में गंगा नदी के बढ़े हुए जलस्तर और तेज जल प्रवाह के कारण नदी के किनारे बसे बक्सर, भोजपुर, पटना, वैशाली, सारण, बेगूसराय, समस्तीपुर, लखीसराय, खगड़िया, मुंगेर, भागलपुर और कटिहार जिलों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है। पटना, वैशाली, भोजपुर और सारण जिला के दियारा क्षेत्र (नदी किनारे वाले इलाके) बाढ़ से अधिक प्रभावित हैं।

आपदा प्रबंधन विभाग का कहना है कि बाढ़ से प्रभावित सभी जिलों में राहत और बचाव कार्य जारी है। पटना स्थित बाढ़ नियंत्रण कक्ष के मुताबिक, राज्य में गंगा, पुनपुन, गंडक और सोन नदी कई स्थानों पर खतरे के निशान से ऊपर बह रही है।

नियंत्रण कक्ष में प्रतिनियुक्त सहायक अभियंता विजय कुमार मंडल ने मंगलवार को बताया कि इंद्रपुरी बैराज में सोन नदी के जलस्तर में वृद्घि दर्ज की जा रही है। सुबह आठ बजे इंद्रपुरी बैराज के पास सोन नदी का जलस्तर 4,35,402 क्यूसेक था वहीं सुबह नौ बजे यहां का जलस्तर बढ़कर 4,40,441 क्यूसेक दर्ज किया गया।

उन्होंने बताया कि गंगा नदी बक्सर, दीघा, गांधीघाट, हाथीदह, भागलपुर और कहलगांव में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है जबकि बूढ़ी गंडक, खगड़िया व घाघरा गंगपुर सिसवन (सीवान) में खतरे के निशान को ऊपर बह रही है।

आपदा प्रबंधन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि बाढ़ प्रभावित लोगों को दियारा क्षेत्र से सुरक्षित निकालकर राहत शिविरों में लाया जा रहा है, जहां उनके लिए पका हुआ भोजन, पीने का पानी, महिला और पुरुषों के लिए अलग-अलग शौचालय, स्वास्थ्य जांच, जरूरी दवाएं, साफ-सफाई और प्रकाश की पर्याप्त व्यवस्था की गई है।

उन्होंने बताया कि अब तक करीब 1,39,330 लोगों को बाढ़ग्रस्त स्थान से बाहर निकालकर सुरक्षित स्थान पर लाया गया है, जिनमें से 1,05,000 लोगों को 162 राहत शिविरों में रखा गया है। बाढ़ प्रभावित इलाकों में 1,537 नावों का परिचालन किया जा रहा है और एनडीआरएफ, एसडीआरएफ की टीमें राहत और बचाव कार्य में लगी हुई हैं।

मौसम विभाग से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, कल सुबह तक बिहार की सभी नदियों के जलग्रहण क्षेत्रों में हल्की से साधारण वर्षा होने की संभावना है।

इधर, गया-बिहारशरीफ राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) 82 पर हिसुआ के आसपास बाढ़ से आवागमन बाधित हुआ है। पानी के तेज बहाव से वहां पर सड़कें क्षतिग्रस्त हुई हैं। एनएच 31 पर बख्तियारपुर -मोकामा के बीच दो-तीन जगहों पर घुटने भर पानी बह रहा है।

एनएच 30 पर मनेर के समीप पानी का बहाव तेज होने से आवागमन पर असर पड़ा है। मोकामा-मुंगेर एनएच 80 पर कई जगहों पर बाढ़ का पानी बह रहा है। सबसे अधिक सबौर-कहलगांव के समीप तेज बहाव से सड़क को खतरा है. आरा-बक्सर के बीच एनएच 84 पर भी पानी बह रहा है।

इधर, वैशाली जिले के 25 पंचायत बाढ़ की चपेट में हैं। राज्य के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव के राघोपुर विधानसभा क्षेत्र में राघोपुर प्रखंड के 20 पंचायत बाढ़ से प्रभावित हैं। राघोपुर थाना और अस्पताल भी बाढ़ के पानी में डूबा हुआ है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि कई बाढ़ प्रभावित इलाकों में अभी तक राहत एवं बचाव कार्य शुरू नहीं किए गए हैं। मुंगेर में तीन लाख लोग बाढ़ की चपेट में हैं जबकि समस्तीपुर की 34 पंचायतें बाढ़ से प्रभावित हैं।