बिहार, पटना: बिहार के CM नीतीश कुमार ने चल रहे सियासी सरगर्मी के बीच इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने यह साफ कर दिया कि किसी भी कीमत पर वे भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति से समझौता नहीं कर सकते हैं। यही वजह है कि जब राजद विधानमंडल दल की बैठक के बाद अंतिम रूप से जब यह तय हो गया कि डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव इस्तीफा नहीं देंगे तो उन्होंने खुद ही इस्तीफा दे दिया।
इस्तीफा के बाद नीतीश कुमार को भाजपा ने अपना समर्थन दे दिया बीजेपी का समर्थन मिलने के बाद नीतीश रात में ही राजभवन जाकर अपनी सरकार का दावा पेश करेंगे। भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने यहां कहा, “बिहार में नीतीश के नेतृत्व में अगर कोई भी सरकार बनती है, तो भाजपा उसका समर्थन करेगी। भाजपा विधानमंडल दल नीतीश कुमार को बतौर नेता विश्वास प्रकट करती है।” सुशील ने बताया कि इसकी सूचना टेलीफोन के जरिए नीतीश कुमार को भी दे दी है, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया है। उन्होंने कहा कि भाजपा भी सरकार में शामिल होगी। उन्होंने बताया कि जल्द ही इस फैसले से राज्यपाल को भी अवगत करा दिया जाएगा।
गौरतलब है कि नीतीश कुमार ने बुधवार को पार्टी विधानमंडल की बैठक बुलाई थी। इस बैठक में मंत्रिमंडल भंग करने व नीतीश कुमार के इस्तीफे का फैसला लिया गया। सरकार को लेकर अंतिम निर्णय पर आने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्यपाल से मिलने का वक्त मांगा। इसके बाद उन्होंने राज्यपाल से मिलकर अपना इस्तीफा सौंप दिया।
वहीँ इस्तीफा देने के बाद नीतीश कुमार ने कहा कि उनसे जितना संभव हुआ, गठबंधन धर्म का पालन करते हुए जनता से किए वायदों को पूरा करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव से कभी इस्तीफा नहीं मांगा। हां, इस मुद्दे पर तेजस्वी से बात हुई। लालू प्रसाद यादव से भी बातचीत होती रही। नीतीश ने कहा कि उन्होंने तेजस्वी से आरोपों की बाबत स्पष्टीकरण देने
को कहा। आम जन के बीच जो अवधारणा बन रही थीख् उसके लिए यह जरूरी था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। राजद की ओर इशारा करते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि वहां अपेक्षा थी कि हम संकट में हैं तो हमारी रक्षा कीजिए। लेकिन, यह अपने आप बुलाया गया संकट है।
नीतीश ने कहा कि परिस्थितियां ऐसी बनीं, जिसमें काम करना संभव नहीं रहा था। जबतक (सरकार) चला सकते थे चला दिया। उन्होंने कहा कि इस्तीफे का फैसला उनकी अंतरात्मा की आवाज थी। चर्चा हो रही थी कि नीतीश इस्तीफा नहीं देंगे, तेजस्वी को बर्खास्त करेंगे। लेकिन, यह मेरे काम करने का तरीका नहीं है। मैंने खुद ही नमस्कार कर दिया।
जानिए क्या है पूरा मामला
विदित हो कि सीबीआइ की एफआइआर में नामजद डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के इस्तीफे को लेकर भाजपा ने विधानमंडल के मॉनसून सत्र को बाधित करने का अल्टीमेटम दिया था। जदयू ने भी कई बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भ्रष्टाचार के प्रति ‘जीरो टॉलरेंस’ की बात कही। उधर, राजद ने साफ कर दिया था कि तेजस्वी किसी भी स्थिति में इस्तीफा नहीं देने जा रहे हैं। ऐसे में उनके पास खुद इस्तीफा देने या तेजस्वी को बर्खास्त करने का विकल्प था।
बिहार की राजनीति में आये इस महत्वपूर्ण मोड़ के बाद लालू का बड़ा बयान सामने आया है, कहा- नीतीश कुमार पर 302 का केस व आर्म्स एक्ट का मामला है। मैं यह पूरी जिम्मेदारी के साथ बोल रहा हूं। मैंने नीतीश से रात में 40 मिनट तक बात की थी। मैंने नीतीश से कहा कि जो भी समस्या है। आपस में बैठ कर बात कर लेंगे। नीतीश के इस्तीफे के बाद लालू प्रसाद कर रहे हैं प्रेस कॉन्फ्रेंस में लालू ने कहा कि नीतीश ने कहा कि मिट्टी में मिल जायेंगे। भाजपा से हाथ नहीं मिलायेंगे। उन्होंने कहा कि मैं संघ मुक्त भारत बनाना चाहता हूं। राजद के उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा कि महागठबंधन को बचाने की पूरी कोशिश होगी।
महागठबंधन को बचाकर रखेंगे। भ्रष्टाचार का उपचार त्यागपत्र नहीं है। भ्रष्टाचार का ईलाज कार्रवाई है। बीजेपी लार टपका रही थी। साथ ही लालू ने कहा कि हम चारा घौटाले के चार्जशीटेड थे, फिर भी नीतीश हमारे साथ आये। लेकिन नीतीश का इस्तीफा दुभाग्यपूर्ण है।