नीतीश कुमार मुख्येमंत्री पद के साथ ही ग्रामीण विकास मंत्रालय की कमान भी संभाल राखी है। कार्यक्रम 5 मार्च को शुरू किया गया था इसके तहत ही नीतीश कुमार ने इस फिल्म को बिहार के अधिक से अधिक जिलों के पंचायतों में दिखाने का फैसला किया है। कार्यक्रम के तहत बासु भट्टाचार्य की इस राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त कर चुकी फिल्म को गाँव – गाँव में दिखाया जा रहा है। यहाँ जब फिल्म दिखया जाता है तो इस दौरान ग्रामीण विभाग के अफसर भी मौजूद रहते हैं और फिल्म के बीच.बीच में गांवों के विकास के बारे में सरकार की योजनाओं और उपलब्धियों के बारे में बताते रहते हैं और समझाते रहते हैं।
अव जब नीतीश का यह प्लान ठीक दृठाक ही चल रहा था तो खबर आई है कि यहाँ सरकार या अधिकारियों से एक चूक हो गई। उन्होंने इस फिल्म को बनाने वाले आरा जिले के ही मशहूर संगीतकार शैलेंद्र के परिवारवालों से फिल्म दिखाने को लेकर उनसे कोई इजाजत नहीं ली थी। उनके छोटे बेटे दिनेश शैलेंद्र का कहना है कि ,’हमने सन 1967 में इस फिल्म के बारे में कोर्ट से यह आदेश ले लिया था कि इसका पूरा कॉपीराइट हमारे पास है और बिना हमारी इजाजत के इसे दिखाया नहीं जा सकता है। साथ ही दिनेश ने यह भी कहा है कि, यदि सरकार एक सप्ताह में हमारी बात पर सुनवाई नहीं करती तो हम कोर्ट जाएंगे।
उन्होंने इस फिल्म को दिखाने के लिए सरकार से 15 करोड़ रूपये के हर्जाने की मान की है। इस सिलसिले में बिहार सरकार और केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी को भी पत्र लिखा गया है।