नई दिल्ली: केंद्र सरकार के पर्यावरण मंत्रालय ने बीजेपी सांसद और संसदीय पैनल के चीफ़ डीके गांधी के उस बयान से पल्ला झाड़ लिया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि देश में कैंसर और सिगरेट को लिंक करने वाला कोई सर्वे कराया ही नहीं गया है और क्या पता इससे कैंसर होता है या नहीं?
‘तंबाकू उत्पादों के सेवन से कैंसर होता है, इसकी पुष्टि करने के लिए कोई भारतीय अनुसंधान उपलब्ध ही नहीं है। तंबाकू अधिनियम के प्रावधानों पर विचार कर रही एक संसदीय समिति के प्रमुख ने ये बात कही है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब सरकार तंबाकू उत्पादक लॉबी के दबाव के कारण तंबाकू उत्पादों पर छापी जाने वाली चेतावनी का आकार बड़ा करने की अपनी 1 अप्रैल की समय सीमा को टालने वाली है।
आज पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने पत्रकारों से कहा कि वह डीके गांधी से सहमत नहीं है, क्योंकि विज्ञान गलत नहीं हो सकता।
उल्लेखनीय है कि पिछले ही साल तंबाकू कंपनियों को निर्देश जारी किए गए थे कि 1 अप्रैल, 2015 से सिगरेट के डिब्बे के 85 फीसदी भाग पर स्वास्थ्य संबंधी चेतावनी दी जाए। ऐसा करने से लोगों में खौफ़ पैदा हो जाएगा, साथ ही रोज़गार पर भी असर पड़ेगा। हालांकि संसदीय समिति ने इस मामले में और बातचीत की जरूरत बताई है, जिसके कारण तंबाकू कंपनियों के लिए राहत मिलती दिख रही है।
वहीं एनसीपी की सांसद सुप्रिया सुले, डीके गांधी के बयान से हैरान हैं। उनका कहना है कि आरआर पाटिल की मौत तंबाकू के कारण ही हुई थी। अगर कोई सबूत देखना है तो एक बार टाटा मेमोरियल अस्पताल में जाएं, तो स्थिति का अंदाज़ा हो जाएगा।
आपको बता दें कि भारत में हर साल करीब 9 लाख लोग तंबाकू जनित बीमारियों के कारण अपनी जान गंवा देते हैं और यह संख्या चीन के बाद दुनिया में दूसरे नंबर पर है। जानकारों का मानना है कि इस दशक के अंत तक यह आंकड़ा 15 लाख तक पहुंच जाएगा।