संकट में घिरे किंगफिसर एयरलाइंस के चेयरमैन विजय माल्या ने कर्मचारियों को बकाया वेतन देने से साफ इन्कार कर दिया है। उन्होंने दो दो टूक कह दिया है कि उनके पास सैलरी देने के लिए पैसे नहीं हैं। अब तक वे कर्मचारियों को उनके पूरे बकाये का भुगतान करने का आश्वासन देते रहे हैं। लेकिन अब माल्या ने हड़ताल पर बैठे कर्मचारियों से कह दिया है कि, मेरे पास आपकी तनख्वाह देने के पैसे नहीं हैं क्योंकि कर्नाटक हाईकोर्ट की निषेधाज्ञा के कारण मैं यूनाइटेड स्पिरिट-डिऐजिओ डील का पैसा इस्तेमाल नहीं कर पा रहा हूं।
किंगफिसर कर्मचारियों को पिछले साल अगस्त से ही सैलरी बकाया है। वहीं, एयरलाइंस की उड़ाने अक्टूबर 2012 से ही ठप है। इसका लाइसेंस भी दिसंबर में समाप्त हो चुका है। उनके इस रूख से अब इस बात की संभावना बढ़ गई है कि वे जल्द ही कंपनी बंद करने तक की घोषणा कर सकते हैं। किंगफिसर ने फिर से परिचालन शुरू करने के लिए विमानन नियामक डभ्जीए को पुनद्धार योजना सौंप रखी है। मगर डीजीसीए ने साफ कह दिया है कि कर्मचारियों सहित दूसरी कंपनियों का बकाया चुकाए बगैर उड़ान की अनुमति नहीं दी जाएगी। ऐसे में भुगतान से इन्कार का फैसला स्थायी तालाबंदी का संकेत हो सकता है।
बकाया सैलरी भुगतान की मांग को लेकर एयरलाइंस कर्मचारियों ने गुरूवार से भूख हड़ताल शुरू की थी। लेकिन माल्या के बदलते रूख को देखते हुए उन्होंने हड़ताल समाप्त कर दिया। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक उनकी मांगे मानने के उलट माल्या ने कह दिया है कि बकाया देने के लिए उनके पास पैसे नही है।
माल्या के कर्मचारियों का कहना है कि माल्या के साथ पहले हुई मुलाकातों का कोई नतीजा नहीं निकल सका है। पिछले साल नवंबर में माल्या ने ब्रिटिश की बड़ी शराब कंपनी डिऐजिओ को 11,166 करोड़ में यूनाइटेड स्पिरिट्स में अपना 53.4% का स्टेक बेचा था।
इस डील में अपनी पर्सनल/प्रमोटर होल्डिंग का 19.3% भी माल्या को 5,742 करोड़ रुपये में बेचनी थी। किंगफिशर एयरलाइन्स के कर्मचारी उम्मीद लगाए बैठे थे कि इस डील से मिलने वाले पैसे से माल्या उन्हें तन्ख्वाह देंगे। माल्या ने अक्तूबर 2012 से बंद पड़ी इस एयरलाइन को फरवरी में रीलॉन्च करने के सपने भी कर्मचारियों को दिखाए थे। लेकिन इस दिशा में कुछ हो नहीं सका।