पटना। टेश लाल वर्मा नगर झोपड़पट्टी में रहने वाले 274 परिवार के ऊपर संभावित विस्थापन की तलवार लटक रही है। मुख्यमंत्री से लेकर संतरी तक के लोगों के समक्ष गुहार लगाया गया। कार्यपालिका,न्यायापालिका,विधायिका और जनतंत्र के चतुर्थ स्तंभ का सहारा लिया। इसके बावजूद सहारा लेने वाले बेसहारा बने हुए हैं।
गांधी,विनोबा,जयप्रकाश,पी.व्ही.राजगोपाल आदि के बताये मार्ग पर चलकर कई दशकों से सत्याग्रह करने वाले लोगों ने शनिवार को पाटलिपुत्र रेलवे स्टेशन का उद्घाटन करने के पूर्व समीक्षा करने आये मध्य रेलवे के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी को घेर लिया। नवनिर्मित पाटलिपुत्र रेलवे स्टेशन 31 अक्तूबर,2013 को उद्घाटन होने जा रहा है।
मौके पर अपनी समस्या को लेकर कोई 200 लोग स्टेशन की ओर बढ़ने लगे। आगे बढ़ने वाले लोगों को पुलिसकर्मी ने आगे बढ़ने से रोक दिया। विस्थापन की दंश झेलने वाले लोग खुट्टा गाड़कर बैठ गये। तब मुख्य प्रशासिनक अधिकारी ने लोगों से मिलने के लिए अपना प्रतिनिधि भेजा। यहां पर आकर प्रतिनिधि लोगों की मांग पत्र स्वीकार किया।
क्या लिखा है मांग पत्र में:
दानापुर अंचल अन्तर्गत ग्राम टेश लाल वर्मा नगर के लोग नवनिर्मित गंगा रेल-सड़क सेतु के निर्माण से 274 परिवार विस्थापन के कगार पर हैं। लोगों का कहना है कि आरंभ में शेखपुरा स्थित जे.डी.विमेंस कॉलेज के निर्माण होने से 1982 में विस्थापित होकर टेश लाल वर्मा नगर में रहने आये थे। यह दीघा नहर के किनारे है। 1995 में सरकार ने झोपड़पट्टी को मान्यता देकर मतदाता सूची में नाम दर्ज करके मतदाता पहचान पत्र थमा दिये। इसके बाद बुनियादी सुविधाओं को उपलब्ध कराने के उद्देश्य से गरीबी रेखा के नीचे भी शामिल करने कार्ड दे दिया। सभी तरह का प्रमाण उपलब्ध है। आंगनबाड़ी और स्कूल भी खोल दिये। दोनों पर खतरा मडराने लगा है।
परेशानी का बादल 2002 से शुरू हुआः
पूर्व मध्य रेलवे ने लोगों को 2002 में नहर के मध्य से झोपड़ी हटवाकर नहर के किनारे करवा दिया। इसके बाद रेल परियोजना का कार्य शुरू किया गया। लोगों ने सवाल उठाया है कि आखिर पूर्व मध्य रेलवे के अधिकारी किस तरह से लोगों को रेलवे की जमीन को अतिक्रमण करने की बात कर रहे हैं। हम लोग 21 साल से दीघा नहर पर रहते आ रहे हैं। पूर्व मध्य रेलवे का कार्य 11 साल से शुरू किया गया है।
विस्थापन और पुनर्वास की मांग को लेकर जनहित याचिका पेशः
विस्थापन और पुनर्वास की मांग को लेकर पटना उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की गयी। 19 अप्रैल, 2010 को पटना उच्च न्यायालय ने प्रस्ताव पारित कर बिहार सरकार को आदेश निर्गत किया कि चार माह के अंदर विस्थापित होने वाले लोगों को पुनर्वास करने की व्यवस्था कर दी जाए। पटना उच्च न्यायालय के इस आदेश की धज्जियां उड़ायी गयी जब पुनर्वास करने के बदले झोपड़ियों को जेसीबी से तोड़वा दिया गया। बिना अग्रिम सूचना के ही हड़बड़ी में खाकी वर्दीधारी उतावले हो गये और तानाशाही रवैया अपना कर झोपड़ी को तहसनहस कर दिया। लोग खुले आकाश में रहने लगे। इस क्रम में एक महिला की सिर भी फट गयी। कई बकरी दबाकर परलोक सिधार गयी। बी.पी.एल.कार्ड से राशन-किरासन गिराकर बर्बाद कर दिये। इतने से मन नहीं भरा तो लोगों के नेतृत्व करने वालों को झूठे मुकदमे में फंसाने की भी धमकी दी जाने लगी।
पहले पुनर्वास और उसके बाद रेलवे स्टेशन चालू करने की मांग उठीः
पहले पुनर्वास और उसके बाद रेलवे स्टेशन चालू करने की मांग उठने लगी। जबतक रेलवे प्रशासन के द्वारा ऊपरी पुल बनवाकर लोगों को आवाजाही करने की सहुलियत नहीं दी जाती है तबतक रेलवे का चक्का चलने नहीं देंगे। झुग्गी झोपड़ी तोड़ने के दरम्या जो विस्थापित हो रहे हैं उन्हे क्षतिपूर्ति की व्यवस्था की जाए।
नेतागीरी करने पार्षद आ धमकें:
पटना नगर निगम के वार्ड नम्बर 2 के वार्ड पार्षद दीपक कुमार चौरसिया आ धमकें। वार्ड पार्षद ने दानापुर अंचल केे अंचलाधिकारी कुमार कुन्दन लाल को मोबाइल से जानना चाहा कि टेश लाल वर्मा नगर में रहने वाले विस्थापितों को पुनर्वास करने की क्या प्रक्रिया चल रही है? अपने जवाब में अंचलाधिकारी ने कहा कि 2 नवम्बर,2013 को इस बाबत रिपोर्ट पेश करेंगे। 274 परिवारों का नेतृत्व करने वाले सुनील कुमार से वार्ड पार्षद दीपक कुमार चौरसिया ने कहा कि सोमवार को तमाम कागजात प्रस्तुत करें ताकि अधिकारियों से वार्ता कर सके।
इस बीच पाटलिपुत्र रेलवे स्टेशन का उद्घाटन को लेकर सरगर्मी बढ़ीः
नवनिर्मित पाटलिपुत्र रेलवे स्टेशन के उद्घाटन की तारीख तय कर दी गयी है। हालांकि कई बार टलने के बाद 31 अक्तूबर,2013 को पाटलिपुत्र रेलवे जंक्शन का उद्घाटन रेल मंत्री मल्लिकार्जुन खडगे करेंगे। लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस मौके पर विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहेंगे। कई तरह के झंझटों के बीच पाटलिपुत्र रेलवे स्टेशन के उद्घाटन का मामला अब तक दो-बार टल चुका है। पाटलिपुत्र रेलवे स्टेशन से चंडीगढ़ और बंगलोर के लिए दो ट्रेनों को भी हरी झंडी दिखायी जाएगी।
गांधी के देश में सत्याग्रह करने का फल नहीं मिलाः
टेश लाल वर्मा नगर के 274 परिवार के लोग सत्याग्रह में हिस्से लिये। कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किये। वर्ष 2007 में लगातार नौ महीने सत्याग्रह किये। दानापुर अंचल परिसर में सत्याग्रह करने के दौरान तेतरी देवी नामक सत्याग्रही शहीद हो गयीं। पटना उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की गयी। मुख्यमंत्री से लेकर संतरी तक के लोगों के समक्ष गुहार लगाया गया। कार्यपालिका,न्यायापालिका,विधायिका और जनतंत्र के चतुर्थ स्तंभ का सहारा लिया।
इसके बावजूद सहारा लेने वाले बेसहारा बने हुए हैं। आज भी रेलवे के द्वारा लोगों को धमकाया गया कि झोपड़ी हटा लें। साफ तो पर कहा कि रेल चलने दें। दस हजार भी रेलवे पटरी में बैठें रहेंगे। उसको कुचलकर भी रेल चालन जारी रखा जाएगा।