नई दिल्ली : देश में लोग काला धन- काला धन कहकर चिहुंक रहे थे। अब सुनो लाल धन का हाल। लाल धन माने लाल टमाटर। किसान का खून पसीना। जब तमाम मेहनत, हर्जा खर्चा करके लागत के बराबर भी दाम नहीं मिला। 50 रुपये किलो में भी कोई लेने को तैयार नहीं। तो 2 किलोमीटर में फैलाकर उस पर ट्रैक्टर चलवा दिया।
मामला छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले का है। पत्थलगांव और फरसाबहार में ढेर टमाटर पैदा हुआ। लेकिन बाजार में दाम कौड़ी वाले। इस पर दो तरफ से मार पड़ी है। एक तो नोटबंदी। ऊपर से बिचौलियों का जुलुम। तो इससे नाराज किसानों ने इंदिरा चौक पर हजारों क्विंटल टमाटर सड़क पर फेंक दिया। और उस पर ट्रैक्टर चलाकर गर्दा वाली सॉस बना दी। उनकी डिमांड धरी रह गई। जो ये थी कि सरकार धान की तरह इसका भी समर्थन मूल्य घोषित करे।
ये है पूरा आंकड़ा
लगभग 4200 हेक्टेयर में टमाटर की खेती होती है। 4 हजार किसानों का घर इससे चलता है। 2010 में सीएम रमन सिंह ने कहा था कि यहां कोल्ड स्टोरेज खुलेगा। 6 साल निपट गए। कोल्ड स्टोरेज का कुछ अता पता नहीं। यहां किसान फूड प्रोसेसिंग यूनिट की डिमांड भी कर रहे थे। कुछ नहीं हुआ। अब नोटबंदी हुई तो भाव खतम हो गया। इसको लादकर ले जाने तक का खर्चा नहीं निकल रहा।