दक्षिण भारत में इस तरह के प्रयास 1973 में पहली बार शुरू हुई किए गए थे, जब डीएमके सरकार ने इडली की कीमत एक – तिहाई घटा दी थी। 1981 में एमजी रामचंद्र ने दोबारा इसकी कीमत को कंट्रोल करने का प्रयास किया। 2008 में डीएमके सरकार ने होटलों से इडली और कुछ अन्य व्यंजनों के दाम कम करने को कहा था, लेकिन कई होटलों ने इडली की कीमत कम करने के साथ ही इसका साइज भी कम कर दिया था। जयललिता ने इस बार अलग रास्ता चुना है और वह 1 रूपये प्रति पीस इडली बेचने के लिए कैंटीनें खुलवा रही हैं जबकि चेन्नई में ठेले पर इडली लगभग 2.50 रूपये प्रति पीस बिकती है।
अब जब दक्षिण भारतीय लोगों को उनका मनपसंद भोजन इतने सस्ते दाम में मिलेगा तो उनके लिए इससे खुशी की बात और क्या होगा। खैर हमारे लिए सोचने की बात तो यह है कि कम से कम कही की सरकार तो भोजन और जनता के भूख के बारे में सोच रही है।