नई दिल्ली : सरकार से आर्थिक मदद पाने वाले NGO को लेकर उच्चतम न्यायालय सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला दिया है। न्यायालय ने कहा कि ऐसे गैर सरकारी संगठन NGO RTI Act के दायरे में आएंगे, जिन्हें सरकार से भारी आर्थिक मदद मिलती है। सरकार से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से आर्थिक मदद पाने वाली संस्थाओं को सार्वजनिक प्राधिकरण के तौर पर देखा जाएगा।
खबरों के मुताबिक, जस्टिस दीपक गुप्ता और अनिरुद्ध बोस की पीठ ने यह व्यवस्था देते हुए कहा कि ये एनजीओ आरटीआई एक्ट, 2005 की धारा 2एच के तहत सार्वजनिक प्राधिकार माने जाएंगे और सूचना देने के लिए बाध्य होंगे। सरकार से आर्थिक मदद पाने वाले इन एनजीओ को न केवल सार्वजनिक प्राधिकरण माना जाएगा, बल्कि वे सूचना के अधिकार (आरटीआई) के दायरे में भी आएंगे।
न्यायालय ने यह फैसला डीएवी कॉलेज ट्रस्ट और प्रबंधन सोसायटी से जुड़े एक मामले में सुनाया है। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि इन संस्थाओं को आरटीआई के तहत अपनी आर्थिक गतिविधियों की जानकारी देनी होगी, क्योंकि सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता और ईमानदारी के लिए इस व्याख्या की आवश्यकता है।
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय में अपील दायर करने वाले कॉलेज और एसोसिएशन थे, जो स्कूल और कॉलेज चला रहे थे। उनका कहना था कि वे एनजीओ हैं और वे आरटीआई एक्ट के दायरे में नहीं आते।