नई दिल्ली : बीजेपी के पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी और जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला एवं उनके पिता फारूक अब्दुल्ला के वाक युद्ध जारी है। फारूक और उमर ने नरेंद्र मोदी पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि मोदी का इरादा संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करना है, जिसमें जम्मू और कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया है। उन्होंने जोर दिया कि इसे राज्य के लोग कभी स्वीकार नहीं करेंगे।
उन्होंने नरेंद्र मोदी पर पलटवार करते हुए जम्मूभ कश्मी र के मुख्य मंत्री उमर अब्दुाल्लाग ने कहा कि उनके अंदर साहस नहीं है कि वो अपने कैंडिडेट्स के चुनाव प्रचार के सिलसिले में कश्मीीर में कदम रखें। उमर ने यह प्रतिक्रिया मोदी के उस बयान पर दी, जिसमें उन्होंतने फारूक अब्दुल्ला पर पलटवार करते हुए कहा था कि धर्मनिरपेक्षता पर अगर कहीं चोट पड़ी है तो वो कश्मीर में पड़ी है. धर्म के आधार पर कश्मीरी पंडितों को भगाया गया।
उमर ने श्रीनगर में कहा, ‘मोदी साहब, आपके पास कश्मीर में आकर वोट मांगने का साहस नहीं है। आप देश का प्रधानमंत्री बनने निकले हैं, लेकिन आप कश्मीर आकर वोट मांगने नहीं आएंगे।’ उन्होंने कहा, ‘आप जम्मू और लद्दाख जाएंगे, लेकिन घाटी नहीं जाएंगे, क्योंकि इस स्थान के बारे में आपकी एक राय है और जिस तरह से आपने लोगों को बदनाम किया है। मुझे नहीं लगता आपके दिल में इनके लिए कोई स्थान है।’
उमर ने कहा कि कश्मीरी पंडितों के कश्मीर छोड़कर जाने के मुद्दे पर मोदी का बयान कश्मीरी अवाम की तौहीन है। मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘जब कश्मीरी पंडितों ने घाटी छोड़ी उस वक्त जगमोहन राज्यपाल के तौर पर राज्य का शासन संभाल रहे थे और फारूक साहब सत्ता में नहीं थे। जहां तक मुझे पता है जगमोहन ने अब भी बीजेपी से अपना नाता नहीं तोड़ा है।
गौरतलब है कि रविवार को फारूक अब्दुल्ला ने एक जनसभा में कहा था कि जो लोग मोदी को वोट दे रहे हैं उन्हें समंदर में डूब जाना चाहिए। फारूक के इसी बयान पर खुद मोदी ने तीखा प्रहार किया।
न्होंने फारूक अब्दुल्ला पर सांप्रदायिकता का आरोप लगाते हुए कहा, सांप्रदायिकता को सबसे बड़ी चोट अगर कहीं पड़ी तो कश्मीर में पड़ी है। वो भी श्रीमान फारूक अब्दुल्ला, उनके पिता और बेटे की राजनीति के चलते। पंडितों को कश्मीर से खदेड़ कर निकाला गया। आपने और आपके परिवार ने राजनीति की खातिर कश्मीर को कौमी रंग दे दिया. कश्मीर तो सूफीवाद और भाईचारे का प्रतीक था। धर्म के आधार पर पंडितों को कश्मीर से भगाया गया। आप मोदी को वोट करने वाले लोगों को समंदर में डूब जाने की बात कहते हैं, पर सच तो यह है कि अगर किसी को समंदर में डूबना चाहिए तो आइना देखिए। आप और आपका परिवार सांप्रदायिकता का गुनहगार है।
उन्होंने आगे कहा, ‘कश्मीर के पंडितों को वहां से खदेड़ देने वालो को दूसरों को नैतिकता का पाठ पढ़ाने का कोई अधिकार नहीं है। हम कोई वोट बैंक की राजनीति नहीं कर रहे. विकास की राजनीति करने आए हैं। हमारा मंत्र है सबका साथ सबका विकास। यही हमारा लक्ष्य है और इससे हम डिगने वाले नहीं हैं। चाहे फारूक साहब जैसे कई लोग कुछ भी बोलें।
जब उमर से यह पुचा गया कि कि क्या वह फारूक के बयान का समर्थन करते हैं, इस पर उमर ने कहा कि उनका बयान बीजेपी के एक नेता की उस टिप्पणी के संदर्भ में था, जिसमें कहा गया था कि मोदी के विरोधियों को पाकिस्तान जाना होगा। उन्होंने कहा, ‘इस पर फैसला चुनाव आयोग को करना है।
एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके पिता की इस टिप्पणी में कुछ भी गलत नहीं है कि कश्मीर सांप्रदायिक भारत का हिस्सा नहीं होगा। उमर ने कहा, ‘वह (फारूक) बेवकूफ नहीं हैं। उन्होंने यह नहीं कहा कि अगर मोदी प्रधानमंत्री बनते हैं तो कश्मीर भारत का हिस्सा नहीं होगा। उन्होंने कहा कि कश्मीर सांप्रदायिक भारत का हिस्सा नहीं होगा और मुझे इसमें कुछ भी गलत नहीं दिखता।’
दरअसल, इस पूरे विवाद की शुरुआत बिहार बीजेपी के नेता गिरिराज के बयान से हुई। गिरिराज ने बोकारो में एक रैली में कहा था, ‘जो लोग मोदी का विरोध करते हैं, वे पाकिस्तान की ओर देख रहे हैं। ऐसे लोगों का स्थान पाकिस्तान में है, भारत में नहीं। इस बयान पर पलटवार करते हुए रविवार को फारूक अब्दुल्ला ने कहा, ‘वो कहते हैं कि जो मोदी को वोट नहीं करते उन्हें पाकिस्तान चले जाना चाहिए। मेरे हिसाब से जो मोदी को वोट करता है उसे समंदर में डूब जाना चाहिए।