राज्य में मिड-डे मील खाने से 23 बच्चों की मौत के बाद जारी विभागीय नोटिस में इसका सख्ती से पालन करने के लिए कहा गया है। साथ ही, ऐसा न करने पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है। नोटिस में कीटनाशक, खाद इत्यादि का भंडारण भोजन सामग्री के साथ नहीं करने के आदेश दिए गये हैं।
इस संबंध में राज्य के सभी समाचार पत्रों में विज्ञापन दिए गए। विज्ञापन में कहा गया कि सभी स्कूल इस निर्देश की कड़ाई से पालन करें, अन्यथा उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
इस दर्दनाक घटना के दो दिन बाद भी किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है और स्कूल की हेड मिस्ट्रेस तथा उसका पति फरार हैं। मिड-डे मील खाने से मरने वाले 23 बच्चों में 11 लड़के और 12 लड़कियां शामिल हैं। एक बच्चे को उसके घरवालों ने बिना पोस्टमॉर्टम के दफना दिया था।
जहाँ एक ओर बिहार में मिड-डे मील से हुई बच्चों की मौत से परिवार वालों के आँख के आंसू भी नहीं सूखे कि, उधर इस मुद्दे पर राजनीति तेज हो गई है। विपक्षी पार्टियों ने राज्य के शिक्षा मंत्री पी के शाही के बयान का विरोध किया है। मिड डे मील से हुई मौतों के बाद शिक्षा मंत्री पीण्केण्शाही ने इशारों में बच्चों की मौत को आरजेडी से जोड़ दिया जिसके बाद तो आरजेडी भड़क उठी है। पी के शाही ने साजिश की आशंका जताते हुए कहा था कि खाने में ऑर्गेनिक फॉस्फोरस नामक जहरीला कीटनाशक पाया गया है।
शाही के इस आरोप के बाद दो सियासी दलों जेडीयू और आरजेड़ी के बीच ऐसा घमासान शुरू कर दिया है जिसमें तमाम मर्यादाऐं टूटने लगी है। आरजेड़ी ने पलटवार करते हुए नीतीश सरकार के मंत्रियों पर आरोप लगाया है कि नीतीश के कई मंत्री खुद मिड-डे मील में सप्लाई करने का धंधा चलाते हैं।
आरजेड़ी के मुताबिक वैशाली के एक कद्दावर मंत्री का बेटा तो नालंदा के विधायक और पूर्व मंत्री का बेटा के साथ साथ गोपालगंज के एक विधायक खुद एनजीओ बनाकर कई जिलों में मिड़-डे-मील का धंधा कर रहे है। आरेजड़ी के मुताबिक नीतीश कुमार खुद पर लगे आरोपों से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए आरजे़डी पर अनर्गल आरोप लगा रहे है।
वहींए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने मिड-डे मील से हुई बच्चों की मौत को लेकर बिहार सरकार के साथ-साथ राज्य की पुलिस को नोटिस जारी किया है। आयोग ने अधिकारियों को अपनी रिपोर्ट दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है।
ग़ौरतलब है कि केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने अप्रैल में बिहार सरकार को मिड-डे मील को लेकर चेतावनी दी थी और यह चेतावनी 12 जिलों को लेकर थी, जिनमें सारण जिला भी शामिल था। मंत्रालय ने बिहार के लिए 2013-14 के मिड-डे मील अनुदान को मंजूरी देते वक़्त ये चेतावनी दी थी। मंत्रालय ने कहा था कि बिहार के स्कूलों में दिए जा रहे मिड-डे मील से छात्र और उनके अभिभावक संतुष्ट नहीं हैं। मंत्रालय ने कहा था कि कई स्कूलों के मिड-डे मील में कीड़े पाए जाने की खबर मिली है। मंत्रालय ने सुझाव दिया था कि मिड-डे मील की जांच के लिए स्कूल लेवल पर कमेटियां बनाई जाएं, लेकिन इनमें से किसी बात पर भी अमल नहीं हुआ।