अपने लिए प्रयास करने लगते हैं।
यदि आप सच बोलते हैं तो आपको कुछ याद रखने की ज़रुरत नहीं रहती, जब आप संदेह में हों तो सच बोल दें, सत्य बिना जन समर्थन के भी खड़ा रहता है, वह आत्मनिर्भर है। कोई त्रुटी तर्क-वितर्क करने से सत्य नहीं बन सकती और ना ही कोई सत्य इसलिए त्रुटी नहीं बन सकता है, क्योंकि कोई उसे देख नहीं रहा, यद्यपि आप अल्पमत में हों, पर सच तो सच है। सत्य और तथ्य में बहुत बड़ा अंतर हैं, तथ्य सत्य को छुपा सकता है। सिर्फ गलतियों को सरकार के समर्थन की ज़रुरत होती हैं, सत्य तो अपने से खड़ा रह सकता है। अर्धसत्य अक्सर एक बड़ा झूठ होता है।
व्यक्ति जब अपने को सामने रखकर बात करता है, तब वो सबसे कम वास्तविक होता हैं, बस उसे एक मुखौटा दे दीजिये, और वो सच बोलेगा। सच बहुत कम ही शुद्ध होता है और सरल तो कभी नहीं, दृढ विश्वास, झूठ की तुलना में सत्य का खतरनाक शत्रु है। व्यक्ति कभी-कभार झूठ बोल सकता हैं, लेकिन उसके साथ जो उसका चेहरा बनता है वो सच कह देता है। ये मत कहिये कि ‘मुझे सत्य मिल गया है, बल्कि ये कहिये कि, मुझे एक सत्य मिल गया है। कल तक हम राजाओं की आज्ञा का पालन करते थे और सम्राटों के सामने सर झुकाते थेए लेकिन आज हम सच के सामने घुटने टेकते हैं, सुन्दरता का अनुसरण करते हैं, और केवल प्रेम की आज्ञा मानते हैं।
हम अपने जीवन में काफी कुछ सच मज़ाक-मज़ाक में कह जाते हैं, भाषा सच को छुपाने का उपकरण हैं, बिना संदेह के सच सुन्दर है, पर झूठ भी ऐसे ही हैं। सत्य किसी व्यक्ति विशेष की संपत्ति नहीं है, बल्कि ये सभी व्यक्तियों का खजाना है। सत्य श्रेष्ठ व्यक्ति की वस्तु हैं, प्रेम, दौलत, शोहरत की बजाये हमे सच दो। सच बोलने के लिए दो लोग चाहिए होते हैं, एक सच बोलने के लिए, और दूसरा सच सुनने के लिए। वकील का सच सच नहीं होता हैं, बल्कि सामंजस्य बैठाने का तरीका या तर्कयुक्त अवसरवादिता है। सच सभी के लिए नहीं होता, वह केवल उसे खोजने वालों के लिए होता हैं, जिस चीज से आप डरते हैं उसमें कोई शक्ति नहीं हैं, शक्ति आपके उस डर में हैं, जो वास्तविक रूप में सच का सामना करना आपको मुक्त कर देगा।
एक टिप्पड़ी आम तौर पे उसकी सच्चाई के अनुपात में चोट पहुंचाती हैं, अगर आप कभी भी राजनीति में सच्चाई डाल देते हैं, तो वो राजनीति नहीं रह जाती। बिना किसी शक के सच का झूठ से वही सम्बन्ध है, जो उजाले का अँधेरे से है। सत्य को हज़ार तरीकों से बताया जा सकता हैं, फिर भी हर एक बात सत्य ही होगा। हमारा कर्तव्य है कि हम हर किसी को उसके संघर्ष में खुद के सर्वोच्च विचार के मुताबिक जीने के लिए उत्सहिर करें, और साथ ही ये प्रयास करें की उसके आदर्श सत्य के बिलकुल निकट हों। ये यकीन करना की कोई आदमी सच कह रहा हैं तब बहुत मुश्किल होता है, जब आप जानते हों कि इसी परिस्थिति में आप झूठ बोलते। तथ्य कई हैं, पर सत्य एक हैं, सच इतना दुर्लभ है कि इसे बताने में ख़ुशी होती है।
सुन्दरता सच कि मुस्कान है जब वो खुद अपना चेहरा आईने में निहारती है। केवल प्रेम ही वास्तविकता है, ये महज एक भावना नहीं है यह एक परम सत्य है जो सृजन के ह्रदय में वास करता है। बर्तन में रखा पानी चमकता है, समुद्र का पानी अस्पष्ट होता हैं, लघु सत्य स्पष्ठ शब्दों से बताया जा सकता हैं, महान सत्य मौन रहता है। यदि आप सभी गलतियों के लिए दरवाजे बंद कर देंगे तो सच बाहर रह जायेगा। प्रेम महज आवेग नहीं हैं, इसमें सच्चाई होनी चाहिए, जो की नियम है। मुखर होना आसान है जब आप पूर्ण सत्य बोलने की प्रतीक्षा नहीं करते। कट्टरता सच को उन हाथों में सुरक्षित रखने की कोशिश करती है जो उसे मारना चाहते हैं, जो कुछ भी हमारी आत्मा को संतुष्ट करे वो सच है।
सच सूरज की तरह है, आप उसपर कुछ देर के लिए पर्दा डाल सकते हैं, पर वो कहीं जाने वाला नहीं। सच्चाई ये है कि जिनके भी पास सत्ता है उनपर यकीन नहीं करना चाहिए, सभी सच तीन चरणों से होकर गुजरते हैं, पहला, उसका उपहास किया जाता हैं, दूसरा, उसका हिंसक विरोध किया जाता हैं, तीसरा उसे स्वतः सिद्ध रूप में मान लिया जाता है। पृथ्वी सत्य की शक्ति द्वारा समर्थित हैं, ये सत्य की शक्ति ही है, जो सूरज को चमक और हवा को वेग देती हैं, दरअसल सभी चीजें सत्य पर निर्भर करती हैं। विरोधाभास का होना झूठ का प्रतीक नहीं है और ना ही इसका ना होना सत्य का, सत्य वो है जो काम करता हैं, सत्य हमेशा अकाट्य होता हैं, द्वेष इसपे हमला कर सकता हैं, अज्ञानता इसका उपहास उड़ा सकती हैं, लेकिन अंत में सत्य ही रहता है क्योकि जीत हमेशा सच की ही होती है ।