नई दिल्ली : इन दिनों आतंकवाद के मुद्दे पर चारो ओर से घिरता दिखाई दे रहा पाकिस्तान बौखलाहट में इंडिया से बदला ने के लिए हर कोशिश करने में लगा हुआ है, इसी बीच पाकिस्तान की सीनेट की एक पैनल ने कहा है कि अगर भारत को घेरना है तो नरेंद्र मोदी और आरएसएस की हिंदुत्ववादी विचारधारा को टारगेट करना जरूरी है। भारत बलूचिस्तान में लगातार ह्यूमन राइट्स वॉयलेशन का मुद्दा उठा रहा है। इंडिपेंडेंस डे पर मोदी ने पहली बार लाल किले से बलूचिस्तान का जिक्र किया था। पाक के अपर हाउस (सीनेट) की एक कमेटी ने ‘पॉलिसी गाइडलाइंस इन व्यू ऑफ द लेटेस्ट सिचुएशन डेवलपिंग बिटवीन इंडिया एंड पाकिस्तान’ नाम से पहली रिपोर्ट जारी की है। क्या है रिपोर्ट में...
पाकिस्तान के अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक, सीनेट पैनल की रिपोर्ट में 22 गाइडलाइंस बताई गई हैं। इस रिपोर्ट को पैनल के चेयरमैन जफारुल हक ने पेश किया। इसके मुताबिक, ‘भारत की असल दिक्कत वहां मुस्लिमों, सिखों, ईसाई और दलितों का मुख्यधारा से दूर होना है। वहां माओवादियों की एक्टिविटीज भी तेज हुई है। इसको लेकर भारत को घेरा जा सकता है।’
‘ऐसा पीएम मोदी की आरएसएस समर्थक हिंदुत्ववादी विचारधारा के चलते हो रहा है। इसे खत्म किया जाना चाहिए।’ रिपोर्ट के मुताबिक, ‘सरकार को ऐसा तंत्र तैयार करना चाहिए जिससे मोदी की अतिवादी विचारधारा, उनकी एंटी-पाकिस्तान पॉलिसीज, वहां के राजनीतिक दलों, मीडिया, सिविल सोसाइटी ऑर्गनाइजेशंस और ह्यूमन राइट्स ग्रुप का जवाब दिया जा सके।’
सितंबर में हुई यूएन जनरल असेंबली की मीटिंग में नवाज शरीफ के बलूचिस्तान में भारत के हाथ का जिक्र न किए जाने को लेकर अपोजिशन ने जमकर निंदा की थी। रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) का एक अफसर कुलभूषण जाधव इस साल मार्च में अरेस्ट किया गया था। पाक का आरोप है कि जाधव बलूचिस्तान-कराची में कई सरकार विरोधी एक्टिविटी में शामिल था।
‘भारत के जासूस का मुद्दा पाक को कई इंटरनेशनल फोरम में उठाना चाहिए। इसके जरिए सरकार को बताना चाहिए कि किस तरह भारत, कश्मीर में ह्यूमन राइट्स वॉयलेशन कर रहा है।’ ‘भारत-कश्मीर की पॉलिसी के लिए एक टास्क फोर्स बनना चाहिए। इसमें दोनों हाउस (नेशनल असेंबली और सीनेट) में बनी डिफेंस और फॉरेन अफेयर्स कमेटी के मेंबर्स को शामिल करना चाहिए।’
रिपोर्ट में ये भी कहा गया है, ‘सरकार को एक फुलटाइम फॉरेन मिनिस्टर अप्वाइंट करना चाहिए।’
‘पाकिस्तान के लिए ये भी जरूरी है कि भारत की उसे अलग-थलग (खासकर पड़ोसी देशों और शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन के बीच) कोशिशों को नाकाम किया जा सके।’
‘जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर दोनों देशों के बीच भरोसा कायम करने और बाइलेटरल रिलेशन पर बात होनी चाहिए।’ रिपोर्ट में कहा गया है कि पाक को कश्मीर हो रहे ह्यूमन राइट्स वॉयलेशन और लोगों के मारे जाने का मुद्दा उठाना चाहिए। ‘पाक की जमीन पर आतंकियों को शरण नहीं दी जाने चाहिए।’
बता दें कि सर्जिकल स्ट्राइक के बाद नवाज को उनके और अपोजिशन सांसदों के जमकर खरी-खोटी सुनाई थी।
पाक सरकार ने मिलिट्री-इंटेलिजेंस को वॉर्निंग भी दी है कि वे आतंकियों पर कार्रवाई करने में दखलन्दाजी न करें।