आजकल वह आपने दामान में लगी कालिख को साफ़ करने की बजाय भारत की ओर एक रणनीति के तहत अपने नापाक इरादों के साथ बढ़ रहा हैं।
पाकिस्तान ने जो सरबजीत के साथ हृदय विदारक नापाक हरकत की है यह हर हिंदुस्तानी के लिए बहुत ही दुखद घटना है। इंसानियत की सारी हदों को पार करते हुए, पाकिस्तानी के नापाक नामर्दों ने सरबजीत को अकेला पाकर उसके साथ जो किया वो पकिस्तान के नापाकों का हिन्दुस्तान के लिए विकृत मानसिकता को प्रकट करता है। इससे पहले भी पाकिस्तान के नापकों ने अपनी नमर्दंगी के सबूत कई बार दिए हैं। जनवरी 2013 में हमारे देश के दो सैनिको को बहुत ही बर्बरता से मौत के घाट उतार दिया। उनके सर को काट के अपने साथ ले गए, और चमेल सिंह के साथ भी कुछ ऐसा ही किया जब उसके सरीर के महत्वपूर्ण अंगों को काट कर निकाल लिया।
वर्ष 1947 से लेकर अब तक भारत और पाकिस्तान में तीन युद्ध हो चुके है और अब जो माहौल फिर इन दोनों देशों के बीच बन रहा है उससे एक बार फिर यह दोनों युद्ध के मुहाने पर खड़े दिखाई दे रहे हैं। इतना ही नहीं, भारतीय सैनिकों की नृशंस हत्या करने के बाद पाकिस्तान इस मामले में अपना पल्ला झाडऩे की भी लगातार कोशिश कर रहा था। बार-बार की नापाक हरकतों को करने के बाद भी पकिस्तान की सीना जोरी बरक़रार है।
आंतक की भाषा बोलने वाला पाकिस्तान पहले नापाक करतूत करता है और फिर अब पाकिस्तानी हुकुमत्दार झूठ पर झूठ की पोटलियाँ बाँधने से भी पीछे नहीं हटता है। अब कहाँ है पाकिस्तान की विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार जो अमन का संदेश देते नहीं थकती है। उनकी जुबान से हिन्दुस्तान के लिए प्यार कुछ इस तरह टपकता हुआ सुनाई दे रहा था जब उनकी जुबान से भारत के लिए नसीहत के बोल निकल रहे थे। हिना रब्बानी ने कुछ इस तरह से पकिस्तान की नापाक सराफत को पेश किया था और कहा था, हम सीमा रेखा पर तीन घटनाएं देख चुके हैं। हमें लग रहा है कि सीमा के उस पार का देश युद्ध करना चाहता है। भारत में जिस तरह की प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है वह निराश करने वाली है। ऐसा लग रहा है कि वहां के सियासतदानों में आक्रामक बयानबाज़ी के लिए होड़ लगी है। अगर पाकिस्तान में कोई दूसरी सरकार होती तो भारत को उसी सुर में जवाब दे सकती थीए लेकिन उनकी सरकार ऐसा नहीं करेगीद्य अब भला ये सरकार और क्या करना चाहती है ये कौन पूछेगा हीना मैडम से?
इस बात से सभी अच्छी तरह वाकिफ़ है कि पकिस्तान जिसकी हुकूमत आतंकवादियों के इशारों पर नाचती है, एक ऐसी तवायफ हैं जो हिन्दुस्तान को नीचा दिखाने और अपनी दुश्मनी को कायम रखने के लिए किसी के साथ भी सो सकती है, चाहे वह चीन हो, अमेरिका हो या कोई भी आतंकवादी संघठन। जिस पाकिस्तान की नीयत की पोल करगिल से लेकर मुंबई हमलों तक कई बार खुल चुकी हो, जिस मुल्क की सेना और आतंकवादियों की सांठगांठ से दुनिया वाकिफ हो, वो अपने आप को पाक साफ़ बताकर किसको धोखे में रखना चाहता है?
पाकिस्तान की बार-बार की इस तरह की नापाक हरकतों से अब सवाल यह उठता है कि जो हैवानियत उन्होंने भारतियों के साथ किये हैं, आखिर इस हैवानियत का हिसाब कौन देगा? क्योकि पाकिस्तान कि तो आदत है पीठ में छुरा घोपने की और वो अपनी इस आदत से न कभी बाज आया है और न आने की कोई उम्मीद उनसे की जा सकती है। पीठ पीछे वार करना और फिर अपने किये को सिरे से इन्कार करना ये तो पकिस्तान कि नियति रही है। इसलिए अगर पकिस्तान कि ऐसी हरकते बढती रही तो भारत की चुनौती और बढ़ गई है।
यदि भारतीय हुकूमत यह समझ रहे हैं कि कड़े बोल बोलने या तीखे तेवर दिखाने से पाकिस्तान पर कोई फर्क पड़ेगा तो यह बहुत बड़ी गलतफहमी है। जिससे बाहर निकल कर अगर भारत सरकार कोई कदम नहीं उठाएगी तो इस नापाकों कि ऐसी शर्मसार करने वाली हरकतों में बढ़ोतरी होती ही रहेगी और हम मूक दर्शक बने बस तमाशा देखने के अलावा और कुछ नहीं कर पयेंगे । हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के बीच बने माहौल को देखकर गांधी जी की कही एक बात याद आ रही है उनकी कही एक बात के अनुसार ष्किसी की
सहनशीलता को उसकी कमजोरी समझना भारी भूल है। अहिंसक की हिंसा प्रलयंकारी होती है। संभवत: पाकिस्तान हमारी सहनशीलता को हमारी कमजोरी मानता रहा है अत: इस गलतफहमी को दूर करने के लिए हमारी सेना को निर्णायक कदम उठाते हुए कार्रवाई करनी चाहिए।