अपने देश की अठन्नी के बराबर पाकिस्तानी रुपया हो गया है। मंगलवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया की कीमत 122 रुपये हो गई है। भारतीय रुपया अभी 67 रुपये का है।
बता दें किब पाकिस्तान का सेंट्रल बैंक पिछले सात महीने में तीन बार रुपये का अवमूल्यन कर चुका है, लेकिन इसका असर नहीं दिख रहा है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक पाकिस्तान का केंद्रीय बैंक भुगतान संतुलन के संकट से बचने की कोशिश कर रहा है।
ईद से पहले पाकिस्तान की माली हालत आम लोगों को निराश करने वाली है। पाकिस्तान में 25 जुलाई को आम चुनाव है और चुनाव से पहले कमजोर आर्थिक स्थिति को भविष्य के लिए गंभीर चिंता की तरह देखा जा रहा है।
रुपए में जारी गिरावट पर द स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने कहा है, ”यह बाज़ार में जारी उठा-पटक का नतीज़ा है। हालात पर हमलोगों की नज़र बनी हुई है। पाकिस्तान में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के एक अर्थशास्त्री अशफाक हसन खान ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा कि अभी पाकिस्तान में अंतरिम सरकार है और चुनाव के वक्त में वो आईएमफ जाने पर मजबूर हो सकती है।
एक डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया 119.85 रुपये का हो गया है। चर्चा है कि इस स्थिति से उबरने के लिए वह आईएमएफ से कर्ज लेगा। इससे पहले उसने 2013 में आईएमएफ से कर्ज लिया था। विशेषज्ञों का कहना है कि आईएमएफ करेंसी की वैल्यू घटाने के लिए कह सकता है। इसलिए पाकिस्तान यह दिखाना चाहता है कि वह पहले से इसकी तैयारी कर रहा है।
125 रुपये के पार जा सकता है पाकिस्तानी रुपया
स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक का आकलन है कि साल के अंत तक पाकिस्तानी करेंसी की वैल्यू 125 रुपये तक गिर सकती है। हालांकि कुछ ट्रेडर्स का कहना है कि एसबीपी ने कीमत नहीं घटाई। डॉलर की मांग बहुत ज्यादा बढ़ने से पाकिस्तानी करेंसी कमजोर हुई है। एसबीपी ने हस्तक्षेप नहीं किया और इसे गिरने दिया।
पाकिस्तान ने चीन से मांगी मदद
रुपये को लगातार गिरने से रोकने के लिए पाकिस्तान ने अपने पुराने दोस्त चीन से मदद मांगी है। ऐसा इसलिए क्योंकि अगर उसने मदद नहीं की तो फिर पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर आगे चलकर काफी संकट में आ सकती है। पाकिस्तान अपना आयात को घटाने पर जोर देना चाहता है और निर्यात को बढ़ावा देना चाहता है।