सीमा पार बैठे आतंकियों को भारत में घुसपैठ करवाने की असफलता की झल्लाहट अब पाकिस्तानी सैनिकों में देखि जा रही है। यही कारण है कि वे अब एलओसी पर गोलाबारी करने के अलावा सीमावर्ती रिहायशी इलाकों में भी गोलाबारी कर दहशत फैला रहे हैं।
वहीँ 16 कोर के जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा के मुताबिक़, एलओसी के उस पार से चलने वाली गोलियों का निशाना सिर्फ भारतीय अग्रिम चौकियां होती हैं। लेकिन यह गोलियां 2.3 किलोमीटर अंदर रिहायशी इलाकों तक कैसे पहुंच सकती हैं। यह हरकत भारतीय क्षेत्र में घुसकर पाक सेना ही कर सकती है। लेफ्टिनेंट जनरल ने कहा कि सेना किसी शर्त पर घुसपैठ के प्रयासों को सफल नहीं होने देगी।
भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में तनाव काफी बढ़ गया था और दोनों देश आमने सामने आ गए थे, जब पाकिस्तानी जवानों ने करगिल में घुसपैठ की थी। सूत्रों के अनुसार द्रास और करगिल के बीच स्थित काकसर में संघषर्विराम का उल्लंघन हुआ और सोमवार की रात पाकिस्तानी सैनिकों ने शुरू में छोटे हथियारों से गोलीबारी की थी और बाद में उन्होंने चेनीगुंड चौकी पर स्वचालित हथियारों से गोलीबारी की।
इस क्षेत्र में पाकिस्तानी सैनिकों का प्रभुत्व है और वे उंचाई वाले क्षेत्रों में हैं तथा लद्दाख को कश्मीर से जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग को निशाना बना सकते हैं। यह वही चौकी है जहां अप्रैल 1999 में ले। सौरभ कालिया और उसके सहयोगी लापता हो गए थे। बाद में उनका क्षतविक्षत शव भारतीय सेना को सौंपा गया था। शव पर स्पष्ट चिह्न थे कि उन्हें प्रताड़ित किया गया था।