पारेख ने कहा है कि अगर हिंडाल्को को आवंटन में सीबीआई को कोई साजिश लगती है तो वह सबसे पहले प्रधानमंत्री को आरोपी बनाए। पीसी पारेख ने इस करार में किसी गड़बड़ी से इनकार किया है। उनका कहना है सीबीआई जनहित में लिए गए सही फैसलों और गलत फैसलों में फर्क करने में नाकाम है। उन्होंने कहा यह हैरानी की बात है कि सीबीआई ने मेरी ही नीयत पर सवाल उठाया,जबकि मैंने कोयला क्षेत्र में पारदर्शिता के लिए कई कदम उठाए।
गौरतलब है कि, पारेख 2005 में कोयला सचिव थे. पारेख पर सीबीआई ने बिड़ला की कंपनी हिंडाल्को को गलत तरीक से फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया है।पारेख पहले अफसर हैं जिनपर कोयला घोटाले में एफआईआर हुई है। 1969 बैच के पीसी पारेख आंध्र प्रदेश कैडर के आईएएस अफसर हैं। अब वो हैदराबाद में रहते हैं। सीबीआई की चार्जशीट में उनका नाम आने पर कई लोगों को हैरानी भी हुई है क्योंकि उनको कोलगेल व्हिस्लब्लोअर माना जाता रहा है।
पारेख मार्च 2004 में कोयला मंत्रालय के सचिव बने थे और दिसंबर 2005 में रिटाय़र हुए थे। कोयला सचिव होने के नाते पारेख आवंटन के लिए बनी स्क्रीनिंग कमेटी के प्रमुख थे। उन्होंने विशेषाधिकार के नाम पर कोयला आवंटन की नीति का विरोध किया था औऱ सुझाव दिया था कि आवंटन नीलामी से होनी चाहिए। पारेख ने कैबिनेट के लिए एक नोट भी तैयार किया था जिसमें कोयला खदान कानून में संशोधन की बात कही गई थी।
इस पुरे मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा ने कहा, प्रधानमंत्री को आरोपी नंबर एक बनाना चाहिए। परख को आरोपी बनाया जाना आश्चर्यजनक है। लगता है पीएम और पीएमओ को क्लीनचिट देने की तैयारी है।