नई दिल्ली : देश में आज ही के दिन 17 साल पहले यानि 13 दिसंबर 2001 को एके-47, हैंड ग्रेनेड जैसे खतरनाक हथियारों से लैस जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों ने भारतीय संसद पर हमला कर दिया था।
और उस हमले के सभी तार सीधे पाकिस्तान से जुड़े थे लेकिन आजतक वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आया। 13 दिसंबर 2001 को कई लाशें गिरती और भारी जान-माल की क्षति तय थी लेकिन ऐसा होने से बचाया देश की शहीद कमलेश कुमारी ने।
आपको बता दें कि संसद हमले में दिल्ली पुलिस के 6 जवान, संसद के दो गार्ड शहीद हुए थे। मौके पर सभी पांचों आतंकियों को मार गिराया गया था। इस हमले में 16 जवान घायल हुए थे। इस हमले में सभी पांचों आतंकवादी मारे गए थे, लेकिन इनका सामना करते-करते एक महिला कांस्टेबल भी शहीद हो गई थी। यह महिला कांस्टेबल थीं कमलेश कुमारी। कमलेश कुमारी ने ही सबसे पहले आतंकियों को संसद परिसर में घुंसते हुए देखा था।
जानिए, कैसे कमलेश ने दिखाई बहादुरी
बता दें कि पांच आतंकवादी एके-47 राइफल्स, ग्रेनेड, बम और बाकी हथियारों के साथ लैस होकर एक गाड़ी में सवार हुए और संसद भवन के गेट नंबर 11 पर पहुंचे। जहां कमलेश की ड्यूटी थी। पांचों आतंकवादी गाड़ी से उतरकर संसद भवन के अंदर घुसने लगे।
कमलेश कुमारी ने उन्हें देख लिया और संदेह हुआ। कमलेश कुमारी के पास उस वक्त कोई हथियार नहीं था, सिर्फ एक वॉकी-टॉकी था। कोई रास्ता ना देख कमलेश कुमारी ने हिम्मत नहीं खोई और जोर से चिल्लाईं। कमलेश कुमारी ने तुरंत कांस्टेबल सुखविंदर सिंह को सूचित किया जो गेट नंबर 11 के पास ही ड्यूटी पर तैनात थे।
कमलेश ने अपनी जान की परवाह न करते हुए अलार्म बजा दिया और शोर मचाने लगीं। आतंकियों ने पकड़े जाने की वजह से तुरंत कमलेश कुमारी को ही अपना निशाना बनाया। आतंकवादियों ने जब देखा कि कमलेश कुमारी ने शोर मचा दिया है और किसी भी वक्त वो पकड़े जा सकते हैं तो उन्होंने कमलेश कुमारी के पेट में गोली मार दी और कमलेश शहीद हो गईं।
कमलेश कुमारी के अलार्म बजाने की वजह से पूरा स्टाफ और सिक्योरिटी अलर्ट हो गईं। अपने एक अन्य सहकर्मी कांस्टेबल सुखविंदर सिंह को कमलेश ने पहले ही अलर्ट कर दिया था जिसकी वजह से सुखविंदर सिंह ने संसद भवन के सारे गेट बंद कर दिए।
पुलिस और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ और फायरिंग चली जिसमें सभी आतंकवादियों को मार गिराया गया। हालांकि इसमें कई पुलिसकर्मी शहीद भी हो गए। जिस समय संसद पर हमला हुआ था उस वक्त तत्कालीन गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाई समेत कई सांसद संसद भवन के अंदर थे।