बिहार में जारी सियासी ड्रामे के बीच बिहार की जीतन राम मांझी सरकार को पटना हाईकोर्ट ने झटका देते हुए कहा है कि वह बहुमत साबित करने तक नीतिगत फैसले नहीं ले सकती।
इससे पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगे, ऐसी उनकी मंशा नहीं है। रविवार को दिल्ली पहुंचे मांझी ने कहा कि वह यहां केंद्रीय मंत्रियों से मिलने आए हैं, बीजेपी नेताओं से नहीं। समर्थन का फैसला बीजेपी को लेना है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति शासन लगाना होता तो काफी पहले हो जाता। आज तक हमारे विधायक घबरा रहे थे। हमारी ऐसी भावना नहीं है। 20 को हम सब विश्वास मत हासिल करेंगे।
इससे पहले रविवार को मांझी ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह और बिहार के राज्यपाल केसरी नाथ त्रिपाठी से मुलाक़ात की थी। बाद में राज्यपाल ने पीएम मोदी से मुलाक़ात की थी।
गौरतलब है कि जदयू ने पिछले 15 दिनों में मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की ओर से दिए गए फैसलों पर रोक लगाने की मांग की थी। इस मामले में जदयू नेता अजय आलोक ने कहा कि बिहार में पूरी तरह से संविधान का उल्लंघन किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार में अल्पमत की सरकार चल रही है और यह सरकार भाजपा व प्रधानमंत्री के इशारों पर कठपुतली की तरह काम कर रही है।
वहीं इसे सिरे से नकारते हुए बिहार भाजपा अध्यक्ष मंगल पांडे ने कहा कि ‘नीतीश कुमार ने ही मांझी जी को मुख्यमंत्री बनाया था और अब वे चाहते हैं कि मांझी ( मुख्यमंत्री पद से) इस्तीफा दे दें। यह जदयू का आंतरिक मामला है। भाजपा का इससे कोई लेना देना नहीं है।
वहीँ जेडीयू नेता केसी त्यागी ने कहा कि राष्ट्रपति शासन लगाने के दिन चले गए। केंद्र सरकार की हिम्मत नहीं है राष्ट्रपति शासन की।